नोटबंदी के चलते जब देशभर के लोग बड़ी किफायत से पैसे खर्च कर रहे थे तब मामूली ऐक्ट्रैस से केंद्रीय मंत्री बन गईं स्मृति ईरानी एक मोची को 90 रुपए बख्शीश दे रही थीं. इस से यह साफ हुआ कि पैसों की मार जरूरतमंद लोगों पर ही पड़ी है, नेताओं, उद्योगपतियों और फिल्मस्टार्स को लाइन में नहीं लगना पड़ा. उन के पास जैसे जादू के जोर से नए और छुट्टे नोट आ गए थे.

स्मृति ईरानी कोयंबटूर में थीं जहां उन की चप्पल टूट गई थी. चप्पल का टूटना खासतौर से किसी भी महिला के लिए दुखदायी घटना है जिस से लगता है कि सारी दुनिया उस के घिसटते पैरों की तरफ ही देख रही है. टूटी चप्पल सुधरवाने के लिए वे रास्ते में मोची के पास रुकीं और चप्पल सुधरवाई. मेहनताने में मोची ने ईमानदारी से 10 रुपए मांगे तो स्मृति ने उसे सौ रुपए का कड़क नोट देते हुए कहा, ‘चेंज वेंडा’ जिस का प्रचलित मतलब होता है कीप द चेंज. तय है इस दरियादिली पर फिदा मोची यही सोच रहा होगा कि रोजरोज ऐसी हस्तियों की चप्पल उस की गुमटी के आसपास ही टूटें तो वाकई अच्छे दिन आ जाएंगे.

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