दलित लेखक और चिंतक कांचा इलैया को आएदिन कट्टरपंथियों की धमकियां मिलती रहती हैं जिन का सार यह रहता है कि सुधर जाओ, नहीं तो...धमकी कोरी गीदड़ भभकी न लगे, इसलिए उन पर छोटेमोटे हमले भी यदाकदा होते रहते हैं. पिछले साल अक्तूबर में उन्हें विजयवाड़ा में पुलिस ने ही नजरबंद कर लिया था. कांचा पर आरोप हैं कि वे दलितों की भावनाओं को भड़काते हैं और सवर्णों के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं.
इस विवादित लेखक ने अब दलितों की तुलना भैंसों से कर के एक नया फसाद खड़ा कर दिया है. उन का कहना है कि भैंस ज्यादा दूध देती है फिर भी उपेक्षित है क्योंकि गुणगान गाय का होता है, ठीक यही हाल दलितों का है. वे मेहनत करते हैं और मलाई ऊंची जाति वाले खा जाते हैं. देखा जाए तो बात नई नहीं है लेकिन चूंकि कांचा इलैया ने कही है, इसलिए अहम हो गई है.
अब इस के पुरस्कारस्वरूप कोई पद्म खिताब तो उन्हें मिलने से रहा, लेकिन नई धमकी या नए हमले के लिए उन्हें फिर तैयार रहना चाहिए.
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