मैं डाकघर में बिल जमा करवा रहा था. मेरे साथ वाली खिड़की पर एक ग्रामीण ने अपना पार्सल डाकबाबू को दिया तो उस को तौल कर वह ग्रामीण से बोला, ‘‘इस का वजन ज्यादा है, 10 रुपए के टिकट और लगा कर लाओ.’’ वह ग्रामीण पार्सल हाथ में ले कर सहजभाव से बोला, ‘‘डाकबाबू, और टिकट लगाने से इस का वजन कम हो जाएगा क्या?’’ इस से पहले कि डाकबाबू कोई जवाब देते, वहां उपस्थित सभी ग्राहकों की हंसी छूट गई और डाकबाबू से कुछ कहते नहीं बना.
- मुकेश जैन पारस, बंगाली मार्केट (न.दि.)
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हिंदी पखवाड़ा चल रहा था. विद्यालय में सभी बच्चों को हिंदी में बात करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा था. ‘विद्यार्थी गर्व से बोलें मातृभाषा’ विषय पर वादविवाद प्रतियोगिता भी रखी गई थी. प्रतियोगिता की तैयारी जोरों से चल रही थी कि मेरे मोबाइल की घंटी बजी. मैं ने फोन उठाया, फोन मेरे मित्र का था. उस ने फोन पर कहा, ‘‘हैलो मैडम, गुडमौर्निंग, आई एम रेनु, विश यू ए वैरी हैप्पी हिंदी डे, सैलिब्रेट इट ऐंड एंजौय.’’ मेरे उत्तर देने से पहले ही फोन कट गया. मैं सोच रही थी कि इन्हीं शब्दों को यदि वह हिंदी में कहती तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती.
- उपमा मिश्रा, लखनऊ (उ.प्र.)
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एक दिन मैं अपनी पत्नी के साथ पड़ोसी के घर मिलने गया. वे घर पर नहीं मिले. उन के दरवाजे पर ताला लगा था. हम लोग वापस अपने घर लौटने वाले थे कि रास्ते में बगल में रहने वाले एक अन्य पड़ोसी मिल गए. वे हम लोगों को अपने घर ले गए. वहां चायनाश्ते और बातोंबातों में समय का पता नहीं चला. रात काफी हो गई थी. हम अपने घर जाने के लिए बाहर आए ही थे, इतने में देखा कि एक बाइक कुछ दूर पर रुक गई और एक युवक तेजी से पड़ोसी के घर की तरफ आया और उस ने अपने मोबाइल से ही पड़ोसी के बंद घर और गेट पर लगे ताले का फोटो खींचा. वह भागने ही वाला था कि हम ने शोर मचा दिया. शोर मचने पर युवक पकड़ा गया.