मेरा बेटा बहुत हाजिरजवाब है. मेरे चचेरे भाई जब भी मेरे यहां आते हैं तो मिठाई, चौकलेट, खिलौने आदि बच्चे के लिए अवश्य लाते हैं. एक दिन वे आए तो फिर बेटे के लिए ढेर सी टौफियां, चौकलेट लाए. बेटा उन्हें देख कर बहुत खुश हुआ और उन से हाथ मिला कर थैंक्यू बोल कर चौकलेट ली. जब वे बेटे को चौकलेट देने लगे तो मैं ने कहा कि भैया, ऐसा कर के आप बच्चे की आदत बिगाड़ रहे हैं, हर बार क्यों यह सब लाते हैं. इतना सुन कर वहां उपस्थित मेरा बेटा तपाक से बोला, ‘‘मम्मी, हम बच्चे तो चौकलेट से ही अंकलमामा को पहचानते हैं. आप बड़े लोग तो बात कर के जी भर लेते हैं लेकिन मैं तो छोटा बच्चा हूं. मुझे बात नहीं चौकलेट की याद रहती है.’’ उस की बात सुन कर मुझे उस की मासूमियत पर बड़ा प्यार आया.

माया रानी श्रीवास्तव, मीरजापुर (उ.प्र.)

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बात मेरे 5 वर्षीय शरारती भतीजे की है. एक दिन मेरी भाभी उसे गुस्से से समझा रही थीं, मगर वह शरारती सुन नहीं रहा था. भाभी को गुस्सा आया और उन्होंने उसे एक थप्पड़ रसीद कर दिया. जैसे ही दूसरा थप्पड़ लगाने लगीं तो वह बोला, ‘‘मम्मी, इस में कुछ डिस्काउंट मिलेगा?’’ यह सुनते ही भाभी की हंसी छूट गई.

अनुजा गोयल, मुंबई (महा.)

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बात तब की है जब मेरी बेटी छोटी थी. एक दिन मैं रसोई में काफी देर से काम कर रही थी. मेरी बेटी भी वहीं बैठी थी. मैं ने उसे बड़े प्यार से बोला, ‘‘प्रीति, तुम इतनी देर से बैठी हो और मुझे देखे जा रही हो.’’ तो वह बोली, ‘‘मम्मी, आप तब से काम कर रही हो, जब तक आप काम करोगी मैं भी आप के साथ यहां रहूंगी.’’ मुझे उस का इतना प्यार से देखना व बोलना बहुत अच्छा लगा. इस में कोई शक नहीं कि बच्चों का प्यार पा कर मां को तो खुशी मिलती ही है, सारा अकेलापन व थकान भी दूर हो जाती है.

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