हमारे एक परिचित की क्रौकरी और प्लास्टिक के सामान की दुकान है. दीवाली की शाम उन्होंने अपनी दुकान पर पूजन किया. हमारे यहां ऐसी मान्यता है कि पूजा का दीया पूरी रात जलना चाहिए, इसलिए वे दीया जलता हुआ छोड़ कर घर चले गए. तभी चूहे ने दीया गिरा दिया. दीपक का तेल चारों तरफ फैल गया और उस ने आग पकड़ ली. वहां रखा प्लास्टिक का सामान धूंधूं कर के जलने लगा. दुकान का सारा सामान जल कर खाक हो चुका था. पुरानी मान्यताओं के चलते उन्हें लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा.
श्वेता सेठ, सीतापुर (उ.प्र.)
मेरे ससुराल में एक रीति है कि जब बेटी की शादी होती है तो दूल्हे की साली घर की दहलीज पार करने से पहले सलवार के दोनों पोंचे पकड़ कर दूल्हे के गले में डाल देती है. शगुन के पैसे मिलने पर धीरे से सलवार गले से निकाल ली जाती है. मेरी ननद की शादी थी. जब जंवाई बाबू घर के अंदर प्रवेश करने लगे तो मेरी छोटी ननद ने जीजाजी के गले में सलवार डाल दी. चारों ओर हंसी गूंज उठी. थोड़ी देर में ही अचानक दूल्हे की दर्द से कराहती हुई चीख सुन कर सन्नाटा छा गया. हुआ यह कि सलवार गले से निकालते समय सिर पर सजे हुए मुकुट में फंस गई जिस से दूल्हे के माथे से खून की धारा बहने लगी. ‘मैं यहां नहीं शादी करूंगा’, कहता हुआ दूल्हा वहां से भाग गया. काफी मानमनुहार के बाद दूल्हा वहां आया और शादी संपन्न हो सकी.
कैलाश भदौरिया, गाजियाबाद (उ.प्र.)
मेरे एक मित्र बिहार के जमुई जिले में कार्यरत थे. उन की मां की मृत्यु हो चुकी थी, पिता बेगुसराय जिले के एक गांव में अपने घर पर रहते थे. अचानक एक दिन शाम को उन्हें घर से सूचना मिली कि उन के पिताजी की तबीयत काफी खराब है, वे घर जल्द नहीं पहुंचे तो पिताजी का मुख भी नहीं देख पाएंगे. वे एक किराए की गाड़ी ले कर रात में ही बेगुसराय के लिए चल पड़े. जमुई व मुंगेर जिले के बीच लंबा घना जंगल पड़ता है जहां अकसर लूटपाट की घटनाएं होती रहती हैं. यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित भी है.