हमारे पड़ोसी जांगीड साहब सिगरेट पीने के आदी हैं, घर वालों से चोरीछिपे सिगरेट पीते हैं. शाम के वक्त खाना खाने के बाद मेरे पति और वे घूमने जाते हैं और इसी बहाने जांगीड साहब सिगरेट की तलब भी पूरी कर आते हैं. एक दिन औफिस से लेट आने की वजह से मेरे पति और जांगीड साहब देरी से घूमने गए. पैसे दोनों के पास ही नहीं थे. सिगरेट की दुकानें बंद हो चुकी थीं. सिगरेट पीनी जरूरी थी. एक दुकान वाले, जिस के कि घर में ही दुकान थी, को जगा कर 2 सिगरेट लीं और उस से कहा कि पैसे कल दे देंगे. वह दुकानदार हमारे पड़ोस में स्थित मंडी से सब्जी लेने रोजाना आया करता था. अगले दिन जब वह आया तो उस ने जांगीड साहब के घर की घंटी बजाई. जांगीड साहब सो रहे थे. भाभीजी बाहर आईं तो उस ने कहा कि पैसे लेने थे, भाईसाहब रात को 2 सिगरेट ले कर आए थे. भाभीजी ने जांगीड साहब को जगा कर दुकानदार से सामना कराया. जांगीड साहब के काटो तो खून नहीं. उस के बाद से उन्होंने सिगरेट पीने से तौबा कर ली. इस बात पर सभी बिना हंसे नहीं रह सके.

आशा शर्मा, बूंदी (राज.)

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हम कश्मीर से बीएड कर रहे थे. वहां राजस्थान से आए कई विद्यार्थी थे. हमारी क्लासेज अंगरेजी माध्यम से पढ़ाई जाती थीं. कई विद्यार्थियों को अंगरेजी समझ में नहीं आती थी. एक दिन हमारा इंस्पैक्शन होने वाला था. सभी विद्यार्थी डरे हुए थे. वहां एक लड़का नागौर का था जो अंगरेजी ढंग से नहीं जानता था. उस के दांत में दर्द हुआ और वह डाक्टर को दिखा कर लौटा. मैस में जा कर उस ने मैस वाले भैया से कहा, ‘‘मेरे दांत में इंस्पैक्शन हो गया है, इसलिए मैं खाना नहीं खा सकता.’’ मैस वाले भैया पढ़ेलिखे थे. उन्होंने चुटकी ली, ‘‘किस ने किया तुम्हारे दांत में इंस्पैक्शन?’’ उन्होंने यह बात जब हम सब को बताई तो हमारा हंसतेहंसते बुरा हाल हो गया. जब तक हम वहां रहे, सब उस लड़के को छेड़ते रहे, ‘क्यों, तुम्हारे दांत में इंस्पैक्शन हो गया.’ दरअसल वह इन्फैक्शन को इंस्पैक्शन समझ बैठा था.

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