हम कुछ सामान लेने सुनार की दुकान गए थे. सामान खरीदने के बाद हम ने उसे रुपए दिए. उस ने रुपए गिनने शुरू किए. हम सब उसे ही देख रहे थे कि रुपए पूरे हैं या नहीं. दुकानदार ने गिनती पूरी की और गिनती खत्म होते ही पास रखे पैन को उठा कर सब से ऊपर के नोट पर वह संख्या लिखने ही वाला था कि मेरे मुंह से निकला, ‘‘रुकिए, कृपया नोट पर संख्या न लिखें.’’
दुकानदार को मेरे टोकने पर बुरा लगा. वह बोला, ‘‘क्यों?’’
मैं ने उसे बताया, ‘‘यह हमारी राष्ट्रीय मुद्रा है और इस पर हमें कुछ लिखना नहीं चाहिए.
वह कहने लगा, ‘‘बैंक वाले भी तो नोटों की गड्डी बना कर उस पर लिखते हैं.’’
मैं ने कहा, ‘‘अगर ऐसा है तो वे भी गलत करते हैं, आप भी उन्हें टोक दीजिए.’’ दुकानदार मेरी बात समझ गया और उस ने कहा कि आगे से वह ऐसा नहीं करेगा.
मैं ऐसे सभी लोगों से कहना चाहती हूं कि कृपया ऐसा न करें और राष्ट्रीय मुद्रा का सम्मान करें. रुपयों के बराबर के कागज काट कर साथ रखें और उन्हें गड्डी के सब से ऊपर लगा कर रबड़ बैंड से बांध दें.
वंदना मानवटकर, सिवनी (म.प्र.)
बचपन से मन में शिक्षक बनने की तमन्ना थी. मैं मेहनत और लगन से पढ़ाई करता रहा. जब मैं बीएससी में था तो टीचर्स टे्रनिंग के लिए टे्रनिंग कालेज में फौर्म भरा. मेरा टे्रनिंग कालेज में नामांकन करने का फौर्म, नामांकन तिथि समाप्त हो जाने के बाद मिला. मैं बहुत निराश हो गया.
मैं ने यह बात पिताजी से बताई. पिताजी ने कहा, ‘‘ठहरो, मैं अपने दोस्त गोपाल बाबू से मिलता हूं.’’ संयोग से वे पटना से छुट्टी ले कर आए हुए थे. जैसे ही पिताजी ने मेरी समस्या बताई तो उन्होंने कहा, ‘‘चलिए, कल जिला शिक्षा पदाधिकारी से मिलते हैं.’’
उन्होंने मुझे जिला शिक्षा पदाधिकारी से मिलवाया. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने मुझे एक बार गौर से देखा. मुझ से बिना कुछ पूछे ही मुझे नामांकन फौर्म भरने का आदेश दे दिया. आज मैं एक कुशल शिक्षक के रूप में कार्यरत हूं.
अशोक कुमार महतो, रांची (झारखंड)
मैंअपने परिवार में पापा की सब से लाड़ली बेटी थी. लेकिन प्रेम विवाह करने के कारण पापा का मेरे से लगाव कम हो गया. लेकिन आज 4 साल बाद जब मैं ने एक बेटी को जन्म दिया तो पापा का वही पुराना प्यार मुझे फिर से मिलने लगा है. दरअसल मेरा ससुराल मायके से बहुत दूर है तो मैं ने अपने पति से कहा कि पापा के घर के पास ही अपना घर ले लेंगे तो मेरे पति बोले कि रिश्तों में मिठास थोड़ी दूरियों से ही बनती है. बाकी जब तुम्हारा दिल हो मिल आया करो. बात मेरे दिल को भा गई.
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