बात उन दिनों की है जब हम शिमला में रहते थे. एक बार मेरे जन्मदिन पर पति और बच्चों ने घर में छोटी सी पार्टी रखी. खानेपीने का सामान रसोई की अलमारी में रख कर केक खरीदने के लिए वे बाजार चले गए. गलती से रसोई का दरवाजा खुला रह गया. मैं दूसरे कमरे में तैयार हो रही थी. रसोई में 3-4 बंदर घुस गए. सारा सामान फर्श पर गिरा कर खाने लगे.
इस प्रकार मेहमानों के आने से पहले बंदरों ने मेरा जन्मदिन मना लिया.
निर्मल कांता गुप्ता, कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
बिजली का बिल भरने को मैं दोपहर को डाकघर पहुंचा. डाकघर में बिजली, टैलीफोन का बिल भरने के लिए केवल 2 काउंटर थे. अंतिम दिन था, भोजनावकाश का समय होने वाला था. दोनों काउंटर पर लंबी कतारें थीं.
एक काउंटर पर मैडम अनुभवी होने की वजह से तेजी से हाथ चला रही थीं. वह कतार घट रही थी. मगर दूसरे काउंटर पर नया कर्मचारी होने की वजह से वह कतार अपेक्षाकृत धीमी गति
से रेंग रही थी. उस में खड़े ग्राहक उकता कर ताने कसने लगे मगर कोई फर्क नहीं पड़ा.
तेजी से बढ़ने वाली कतार से एक सज्जन बोले, ‘‘भई, डाकघर भी क्या करेगा? उन के पास मैनपावर की जो कमी है.’’
तभी दूसरी कतार से कोई तपाक से बोला, ‘‘भाईसाहब, मैन तो है बस, पावर की कमी है.’’ उन की यह बात सुनते ही जोरदार ठहाका गूंज उठा, माहौल हलकाफुलका हो गया और दूसरे काउंटर का नया कर्मचारी भी थोड़ी मुस्तैदी दिखाने लगा.
राजेश पाटील, बुलडाना (महा.)
हमारी कालोनी का एक बच्चा बहुत शैतान है, वह अकसर मेरे घर की घंटी बजा कर भाग जाता था. जब हम लोग उस से पूछते, ‘‘बेटा डोरबैल किस ने बजाई,’’ तो वह कहता, ‘‘हमें पता नहीं.’’
उस को कई बार समझाया भी, पर वह माना नहीं. ऐसे में मेरे पति को एक उपाय सूझा. एक दिन वे छत पर जा कर दीवार के पीछे छिप गए. जैसे ही उस बच्चे ने घंटी बजाई, उन्होंने एक छोटी बालटी से उस के ऊपर पानी डाल दिया. वह एकदम से हैरानपरेशान हुआ कि यह क्या हुआ, क्योंकि पूरा भीग गया था. ऊपर देख कर बोला, ‘‘क्या है अंकलजी, आप ने मुझे भिगो दिया.’’
तब मेरे पति प्यार से बोले, ‘‘अरे ये तुम थे, मैं ने तो उस शैतान बच्चे पर पानी डाला था, जो घंटी बजा रहा था,’’ यह सुन कर वह बहुत शर्मिंदा हुआ और उस ने घंटी बजानी छोड़ दी.
शशी अग्रवाल, पीलीभीत (उ.प्र.)
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