मेरे पति अच्छे स्वभाव के हैं. शादी के बाद उन का तबादला अंडमाननिकोबार हो गया. इस दौरान मैं प्रैगनेंट हो गई और मुझे उल्टियां बहुत आती थीं. मेरे पति ही घर का सारा काम और साफसफाई करते थे. एक दिन उन के एक दोस्त अचानक आए और बोले, ‘‘यार, इतनी सेवा क्यों करते हो.’’

मेरे पति ने उत्तर दिया, ‘‘शालू जिस बच्चे को जन्म देने वाली है वह हम दोनों का है. जब बच्चे के लिए वह शरीर से इतना कष्ट उठा सकती है तो क्या मैं थोड़ी उस की सेवा भी नहीं कर सकता.’’ उन के इस निश्छल व निस्वार्थ प्रेम को देख कर मेरा हृदय गद्गद हो उठा.

शालिनी बाजपेयी, चंडीगढ़ (यू.टी.)

*

मेरे पति बेहद हंसमुख और खुशमिजाज हैं. मुंबई में ही पलेबढ़े होने के कारण हिंदी भाषा से पूरी तरह अवगत नहीं हैं.  कई बार जब वे हिंदी बोलते हैं, गलत शब्दों के प्रयोग के कारण घर में हंसी के ठहाके गूंज उठते हैं जिस में वे स्वयं भी शामिल हो जाते हैं. एक बार मेरे छोटे भाई ने बातचीत के दौरान उन से कहा, ‘‘जीजाजी, आजकल आप काफी अच्छी हिंदी बोल लेते हैं, लगता है हमारी दीदी का प्रभाव है.’’

उन्होंने तपाक से उत्तर दिया, ‘‘अरे, हिंदी क्या, अब तो हम उर्दू भी बोल सकते हैं.’’

भाई ने अचंभे से पूछा, ‘‘उर्दू?’’

तो पतिदेव ने जवाब दिया, ‘‘तो फिर, आप क्या समझते हैं, हम ने उर्दू के कई इंतकाल दिए हैं.’’

यह सुनते ही सब के पेट में हंसतेहंसते बल पड़ गए. दरअसल, वे कहना चाहते थे कि उन्होंने उर्दू के कई इम्तिहान दिए हैं.

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