मेरे भैयाभाभी अपने बेटे के लिए लड़की की तलाश में थे. कहीं भी बात न बनने के कारण उन्होंने न्यूजपेपर में 2-3 बार वैवाहिक विज्ञापन दिया. इस के 1 महीने बाद एक फोन आया और वे लोग घर का पता और लड़के के बारे में जानकारी लेने लगे. भाई ने सोचा कि विज्ञापन देख कर फोन किया होगा, उन्होंने अपना पता और विवरण दे दिया. इस के 1 घंटे बाद एक दंपती ने दरवाजे पर दस्तक दी और बताया कि वे बरेली से आए हैं. यहां उन का एक रिश्तेदार अस्पताल में दाखिल है और वे उसे देखने आए थे. उन्होंने पेपर में हमारा विज्ञापन देखा था तो सोचा दोनों काम हो जाएंगे.

बोलचाल में वे भले इंसान लग रहे थे, इसी कारण भाभी ने भी उन की अच्छी खातिरदारी की. उन्होंने घर देखा, लड़के से भी मिले और आगे की बात पक्की करने के लिए अपना फोन नंबर और पता दे कर अगले दिन फोन करने की बात कह कर रुखस्त होने लगे. जाने से पहले बोले, ‘‘बहनजी, आप को एक तकलीफ दे रहे हैं. असल में आते समय किसी ने मेरी जेब से पर्स निकाल लिया और हमें पता नहीं लगा. अब यहां आते समय जब रिकशा वाले को पैसे देने के लिए जेब में हाथ डाला तो पर्स नहीं था. अगर आप को तकलीफ न हो तो 2 हजार रुपए दे दीजिए, हम अगली मुलाकात में हिसाब कर लेंगे.’’ मेरी भाभी ने उन्हें रुपए दे दिए और वे चले गए. अगले दिन उन का कोई फोन नहीं आया. फिर जब भाभी ने उन के दिए नंबर पर फोन किया तो ‘यह नंबर मौजूद नहीं है’ का संदेश आता रहा. दिन, हफ्ते और महीने बीत गए इस बात को, उन का कहीं पता नहीं चला. मेरी भाभी लड़की की तलाश के चक्कर में दिन दहाड़े ठगी गईं.

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