कुछ दिन पहले की बात है. हमारी कालोनी में लगभग 12 बजे दोपहर को 2 लड़के आए और अपनी पहचान इंडेन गैस एजेंसी के एजेंट के रूप में दी. उन्होंने कहा कि वे गैसचूल्हा व सिलेंडर में किसी भी गड़बड़ी को सही कर देंगे और पूरे 2 साल तक जब भी गैसचूल्हे में कोई खराबी आए तो उन्हें फोन से बुलाया जा सकता है. वे फ्री सेवा देंगे.
इस के लिए वे कालोनी वालों से 200 रुपए ले कर रसीद दे रहे थे और अपना फोन नंबर भी दे रहे थे. कई लोगों ने रसीदें कटवाईं. मैं ने भी दूसरी महिलाओं की तरह गैसचूल्हा चैक करवाया तथा 200 रुपए लेने कमरे में गई. इत्तफाक से पति की तबीयत कुछ खराब होने के कारण वे घर लौट आए. उन्होंने उन लड़कों से पहचानपत्र दिखाने को कहा. इस पर वे कुछ अजीब सा पहचानपत्र दिखाने लगे.
पति ने जैसे ही कहा कि वे गैस एजेंसी फोन कर के पूछ लेते हैं, उन के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. पति गैस एजेंसी को फोन करने अंदर गए. मैं पानी लेने को किचन में चली गई, जब मैं बाहर आई तो वे दोनों गायब थे. उन का दिया फोन नंबर गलत निकला. इस तरह वे दिन दहाड़े लोगों को बेवकूफ बना गए.
संगीता राय, झांसी (उ.प्र.)
कुछ दिन पहले मैसूर से आ कर मुंबई के दादर स्टेशन पर सुबह 6 बजे पत्नी के साथ उतरा. सामान ज्यादा था. डब्बे के बाहर ही टैक्सी वाला मिला और चारकोप का भाड़ा 500 रुपए मांगा. कुली के सहयोग से सामान रखवा कर पीछे की सीट पर बैठ कर उस के साथ चल दिए.
अपनी सीट पर बैठेबैठे ड्राइवर ने मुझ से 1 हजार का छुट्टा मांगा. उस ने पीछे एक नीले रंग की लाइट जला रखी थी. मेरी जेब में 500 और 100 रुपए के नोट साथसाथ रखे थे. मैं ने 500 के 2 नोट दिए और बाकी पैसा जेब में रखने लगा तो उस ने कहा कि ये तो 600 रुपए हैं. मैं ने अपनी भूल समझते हुए 100 का नोट ले कर 500 का दे दिया.
थोड़ी दूर चलने पर उस ने गाड़ी रोक दी. हम लोग गाड़ी में ही बैठे रहे. ड्राइवर टैक्सी से उतर कर टायर वगैरह देखने लगा. फिर बोला कि टायर पंक्चर हो गया है, दूसरी गाड़ी किए देता हूं. और जल्दीजल्दी हमारा सामान दूसरी टैक्सी में रखवा दिया.
जब चलने लगे तो वही ड्राइवर बोला कि अब हमें छुट्टा नहीं चाहिए. अपना पैसा ले कर हमारा नोट दे दीजिए. उस ने खुले पैसे लेते समय जो 100 का नोट दिया हम ने देखे बिना उसे पैंट की जेब में रख कर उस का 1 हजार रुपए का नोट, जो ऊपर की जेब में था, दे दिया.
जब थोड़ी दूर निकल आए तो पत्नी ने कहा कि उस की कोई मक्कारी तो नहीं थी. तो मैं ने अपनी पैंट में देखा तो दोनों नोट 100 रुपए के ही थे. 500 रुपए का एक भी नोट नहीं था. इस लूट का मुझे आज तक अफसोस है.
राजेंद्र प्रसाद, मुंबई (महा.)