दिल्ली में एक मेगा इवेंट के जरिए विवादों में आए आर्ट औफ लिविंग के आविष्कारक श्रीश्री रविशंकर को सभी ने नजरअंदाज करना शुरू कर दिया. इस अनदेखी से दुखी रविशंकर अब बगैर किसी के आग्रह के राम मंदिर निर्माण के बाबत निशुल्क मध्यस्थता करने को तैयार हैं. बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के उठते बाजार से सिर्फ बहुराष्ट्रीय कंपनियां ही नईनई रणनीतियां नहीं बना रही हैं, बल्कि आयुर्वेद की खाने वाली देशी कंपनियां भी अपने गोदामों में रखा माल देख कर दुखी हैं. रविशंकर उन में से एक हैं. अब सीधेसीधे तो वे रामदेव के बारे में कुछ कह नहीं सकते इसलिए टेढ़ा रास्ता राम मंदिर जैसे संवेदनशील और विवादित मुद्दे का चुन कर मीडिया में अपनी हाजिरी दर्ज करा कर आर्ट औफ बिजनैस का गुर पेश कर रहे हैं.

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