हम सभी ने घूमने का कार्यक्रम बनाया. मेरा परिवार और मेरी सहेली, जो पेशे से डाक्टर है, का परिवार साथ था. मेरी सहेली मेरे 4 साल के बेटे को पूछने लगी, ‘‘बेटे, आप किस स्कूल में पढ़ते हो? मुझे भी आप के स्कूल में नाम लिखवाना है.’’ मेरा बेटा मुंह पर उंगली रख कर बोला, ‘‘आंटी, चुप हो जाओ. अगर आप की यह बात गाड़ी चलाने वाले को पता चल गई तो आप की शेमशेम हो जाएगी कि इतनी बड़ी आंटी अभी तक स्कूल नहीं गईं.’’ उस की इस भोली सी बात पर हम सब खिलखिला कर हंस पड़े.
प्रीतम कौर, धनबाद (झारखंड)
मेरा बेटा बहुत हाजिरजवाब है. एक दिन मैं ने उसे डांटा और कहा कि तुम दूध नहीं पी रहे हो, दूध नहीं पियोगे तो कैसे बढ़ोगे और पढ़लिख कर बड़े आदमी बनोगे? उस ने तुरंत उत्तर दिया, ‘‘मम्मी, गाय का बछड़ा बड़ा हो कर कौन बड़ा आदमी बन गया? वह तो रोज दूध पीता है.’’ उस का उत्तर सुन कर मैं हंसने लगी और उस के तर्क के बारे में सोचती रही.
शिवानी श्रीवास्तव, ग्रेटर नोएडा (उ.प्र.)
मायके से लौटने के बाद मैं अपनी सहेलियों से मां के घर में बने अचारों के गुणगान कर रही थी. मेरी मां कई तरह के अचार बनातीं और लोगों को शौक से खिलाती हैं. हम लोगों को भी मां के द्वारा बनाए खट्टेमीठे अचारों का स्वाद लेने में बहुत मजा आता है. मेरी 5 वर्षीय बेटी शालू, जो अचार खाने की बेहद शौकीन है, मेरी बात सुन कर बोली, ‘‘हां मां, नानी के घर में जबजब भूख लगती थी तबतब मैं सुधांशु के संग अचार चुराती थी और छिप कर खाती थी.’’ शालू की बातें सुन मैं भी सहेलियों के संग हंसने लगी.