मेरी छोटी बेटी अपने प्रथम प्रसव के लिए मेरे पास आई थी. दीवाली के आसपास की डेट थी. मैं ने अपनी बड़ी बेटी को सहायता के लिए बुला लिया था. वह अपनी 2 बच्चियों, जिन की उम्र 7 व 3 वर्ष थी, को ले कर आई थी. हम दीवाली के लिए खरीदारी कर रहे थे. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दुकानदार और कंपनियां सामान खरीदने में हर प्रोडक्ट के साथ फ्री गिफ्ट दे रहे थे. सो, हम ने बहुत सी चीजें खरीद लीं. कुछ चीजें तो ऐसी थीं जो बहुत आवश्यक भी नहीं थीं. वजन ज्यादा होने से पति झुंझला रहे थे. हमारा मजाक उड़ाते हुए वे बोले, ‘‘जो प्रोडक्ट ज्यादा नहीं बिकते, दुकानदार ग्राहकों को फ्री गिफ्ट के रूप में गले मढ़ देते हैं.’’ बात आईगई हो गई.

दीवाली के 2 दिन बाद प्रसव पीड़ा होने पर बेटी को अस्पताल ले गए. उस के जुड़वां बच्चे होने वाले थे. प्रसव होने पर नर्स पहले बेटा ले कर आई, फिर 10-15 मिनट बाद बेटी ला कर मजाक करती हुई हम से कहने लगी कि बेटे के साथ यह बेटी फ्री गिफ्ट है. बड़ी बेटी की बेटी शिवि कुछ सोचने के बाद मासूमियत के साथ बोली, ‘‘बेटियों को लोग ज्यादा पसंद नहीं करते, इसलिए हमें बेटे के साथ फ्री गिफ्ट के रूप में दे रहे हैं.’’ उस की बात सुन कर हम अवाक् रह गए.

- मनोरमा वर्मा, रायपुर (छ.ग.)

*

‘‘बूआ, मैं बौर्नविटा वाला दूध रोज पीती हूं तब भी मैं बड़ी नहीं हो रही हूं. क्यों?’’ एक दिन जब मेरी 4 वर्षीय पोती आरुषि ने अपनी बूआ शालू से प्रश्न किया तो बूआ ने कहा, ‘‘तुम रोज दूध पिया करो. जब तुम फर्स्ट क्लास में पहुंचोगी तब तुम बड़ी भी हो जाओगी और बहादुर भी.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...