मोटापा और भौंड़ापन

बीते दिनों हद पार करते लालू प्रसाद यादव ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के मोटापे पर कटाक्ष कर डाला कि इतने मोटे आदमी को लिफ्ट में चढ़ना ही नहीं चाहिए. हुआ यों था कि पटना में एक लिफ्ट में अमित शाह आधा घंटा फंसे रहे थे. मोटे लोग हमेशा ही हंसी का पात्र रहे हैं, लालू के ताने ने बिलाशक अमित शाह को दुखी किया होगा. दरअसल आज हंसीमजाक ने सोशल मीडिया तक पहुंचतेपहुंचते न सिर्फ अपनी गरिमा खो दी है बल्कि भौंड़ा भी हो गया है. हास्य में शालीनता के बजाय ब्लैक कौमेडी और सैंस औफ ह्यूमर जैसे भारीभरकम जुमलों की आड़ में किसी को भी सरेआम बेइज्जत कर दिया जाता है. यह सच है कि लिफ्ट में साथ में मोटा आदमी हो तो दूसरों को दहशत होने लगती है कि कहीं लिफ्ट अटक न जाए लेकिन लालू यादव ने जता दिया है कि वे सभ्यता और शिष्टता जैसे शब्दों में यकीन नहीं करते.

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उमा का दर्द

अधेड़ अविवाहिताओं की स्थिति अकसर उस वक्त असहज हो जाती है जब सार्वजनिक या मंचीय कार्यक्रमों में संचालक उन्हें श्रीमती कह देते हैं. आमतौर पर अविवाहिताएं इस पर कोई एतराज न जताते कार्यक्रम चलने देती हैं लेकिन उमा भारती इस की अपवाद हैं. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उन्हें श्रीमती कहते पुकार दिया तो तुरंत उमा ने स्पष्टीकरण दे डाला कि मैं अविवाहित हूं और अब शादी होने की कोई संभावना भी नहीं. बात संसदीय हंसीमजाक में आईगई हो गई लेकिन अधेड़ अविवाहिताओं का दर्द उजागर कर गई, मानो शादी न होना कोई बहुत बड़ा गुनाह हो. घरगृहस्थी बसाना हर महिला का सपना होता है. वजहें कुछ भी हों, कइयों का यह सपना पूरा नहीं हो पाता.

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