प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों से राहुल गांधी पर बोलना कम करते यह जिम्मेदारी पार्टी के दूसरी पंक्ति के नेताओं को सौंप दी है जिस के पीछे सोच यह है कि वे अगर राहुल के खिलाफ बोलते हैं तो राहुल खामखां वजन मिलता है यानी राहुल का कद छोटा करने के लिए मोदी को उन पर न बोलना बेहतर लग रहा है. खून की दलाली की बात राहुल गांधी ने कही तो जवाबी हमले में अमित शाह ने कह डाला कि उन के मूल में ही खोट है. मूल के कई शाब्दिक अर्थ होते हैं लेकिन अमित शाह की मंशा डीएनए का हिंदीकरण करने की थी जिस पर कांग्रेसी तिलमिलाए और चिंता यह जता दी कि उन्हें भाजपा से इतने नीचे गिरने की उम्मीद नहीं थी. बकौल कपिल सिब्बल, तड़ीपार अमित शाह उन्हें न सिखाएं कि किस के मूल में खोट है. यानी मूल के खोट की सियासत अभी और खिंचेगी. हालांकि जड़ें तो सब की खोखली ही हैं.

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