मैं अपनी पड़ोसिन की आदत से परेशान थी क्योंकि वह बहुत झूठ बोलती थी. अगर दूध 40 रुपए लिटर होता तो वह कहती, 45 रुपए लिटर, यानी हरेक चीज का दाम बढ़ा कर बताती. कभी कहती, हम तो सबकुछ फ्रैश खाते हैं.  
एक दिन मैं और मेरी पड़ोसिन एकसाथ मछली लेने के लिए गए. एक जगह मछली 80 रुपए प्रति किलो मिल रही थी और दूसरी जगह 120 रुपए प्रति किलो. मैं ने 80 रुपए प्रति किलो वाली मछली ली पर उस ने 120 रुपए वाली.
उस ने मुझ से पूछा, ‘‘आप ने कितने रुपए वाली मछली ली?’’
मैं ने कहा, ‘‘80 रुपए.’’
‘‘आप ने मुझे 80 रुपए वाली मछली क्यों नहीं बताई?’’
तब मैं ने कहा, ‘‘आप तो सब फ्रैश ही खाती हो.’’
इस घटना के बाद से मेरी पड़ोसिन ने मुझ से झूठ बोलना कम कर दिया.
मृदुला कुमारी, सिकंदराबाद (आंध्र प्रदेश)

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देशविदेश के कई सितारा होटलों के औपचारिक स्वागत के अभ्यस्त मन पर, अमृतसर के एक होटल में हुए आत्मीयता से ओतप्रोत स्वागतसत्कार ने, एक अमिट छाप छोड़ दी. हाल ही में भ्रमण के दौरान हम अमृतसर में एक होटल में ठहरे. अगले दिन जब चैकआउट कर रहे थे, शाम के 7 बज चुके थे. हम औपचारिकताओं को पूरा करने में व्यस्त थे कि तभी होटल की ओर से चायनाश्ता आ गया.
समय कम होने के कारण यह तय किया कि रात का खाना स्टेशन पर ही खाएंगे. जब होटल मालिक को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने टे्रन की पैंट्रीकार के भोजन की खराब क्वालिटी के बारे में बताते हुए होटल में ही खाना खाने की सलाह दी.
समयाभाव के कारण हम वहां खाना खाने के पक्ष में नहीं थे. यह जान कर होटल मालिक ने तत्काल हम 5 व्यक्तियों के लिए खाना पैक करा दिया. हमारे बहुत कहने के बावजूद उन्होंने नाश्ते व खाने के पैसे लेने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, मेवावाला अमृतसरी गुड़, जो हम ने उन से कह कर मंगवाया था, ला कर दिया और उस के भी पैसे लेने से इनकार कर दिया. जब हम ने बिना पैसे गुड़ लेना स्वीकार नहीं किया तब कहीं उन्होंने पैसे लिए. होटल के गेट तक आ कर हमें विदा किया. ऐसा लगा मानो हम होटल से नहीं बल्कि किसी अपने के घर से विदा हो रहे हैं, एक सुखद याद लिए.
सतीश चंद्र रस्तौगी, साहिबाबाद, (उ.प्र.)

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