मेरी  शादी को 30 साल हो गए. जब मेरी नईनई शादी हुई थी तब की बात है. मैं गांव में रहने वाली थी और मेरे पति शहर में रहते थे. तब गांव में गैस तो दूर, हमारे घर में स्टोव भी नहीं था. चूल्हे पर खाना बनता था.

जब मैं पति के साथ मुंबई आई तो पति ही स्टोव जला कर देते थे. तब मैं खाना बनाती थी.

एक दिन मेरे पति अपने एक दोस्त को ले कर घर आए और बोले कि अच्छी सी चाय बनाओ. तब हम एक ही कमरे में रहते थे. मैं कमरे से बाहर आ गई. मुझे रोना आ रहा था कि मैं क्या करूं  क्योंकि मुझे तो स्टोव जलाना भी नहीं आता था. इसी बीच मेरे पति बाहर आए और और फिर से बोले कि चाय बनाओ. मैं बोली, ‘‘स्टोव जला कर दो.’’ तब वे हंसने लगे और दोस्त के सामने बोले, ‘‘देखो, गांव की लड़की के साथ शादी की तो स्टोव भी जलाना पड़ता है.’’

रेखा इंगले

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मेरे पड़ोस में एक दंपती रहते हैं. वे पेशे से डाक्टर हैं. उन के एक लड़का है जिस का नाम आदित्य है. डाक्टर साहब के पिताजी उन के पास गांव से इलाज के लिए आए हुए थे. बड़े खुश थे, उन का इलाज भी हो रहा था और पोते के साथ समय भी अच्छा गुजर जाता था. एक दिन मैं ने पूछा, ‘‘चाचाजी, बेटाबहू दोनों अस्पताल चले जाते हैं, सुबहशाम क्लीनिक में रहते हैं और पोता स्कूल चला जाता है. ऐसे में आप का समय कैसे गुजरता है?’’

इस पर वे बोले, ‘‘बेटा, जब मैं छोटा था तो मुझे खिलौनों से बहुत प्रेम था. हमारे समय में इतने अच्छे खिलौने नहीं होते थे. हम लोग मिट्टी केखिलौने बना कर खेलते, पतंग उड़ाते, गिल्लीडंडा खेलते थे.

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