कई निवेशक किराए को आमदनी का अहम स्रोत मानते हैं. किराया दरअसल इन्फ्लेशन एडजस्टेड होता है. हालांकि फ्री मार्केट में ज्यादातर दूसरी इनकम के साथ भी ऐसा ही है. बैंक डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज महंगाई के साथ घटता-बढ़ता रहता है, जैसे कि रेंट. हालांकि ज्यादातर मार्केट्स में रेंट में सालाना आधार पर बदलाव होता है.

सवाल ये है कि क्या केवल रेंट पर देने के लिए दूसरा मकान खरीदना ठीक है? अगर इन बातों पर गौर किया जाए तो शेयर खरीदने में एनालिस्ट्स कंपनी के मैनेजमेंट पर ध्यान देने को कहते हैं. बॉन्ड्स के मामले में क्रेडिट रेटिंग अहम होती है. प्रॉपर्टी में लोकेशन सबसे अहम है. हम आपको बता देना चाहते हैं कि हर प्रॉपर्टी से अच्छी रेंटल इनकम नहीं मिलती. लोग अपनी अधिकांश बचत का इस्तेमाल कर बड़ा घर बनवाते हैं.

आपने अक्सर देखा होगा कि कई निवेशकों ने अपने फ्लैट कंपनियों को सर्विस्ड अपार्टमेंट के रूप में आउटसोर्स कर दिए हैं. बुनियादी सुविधाओं पर शुरुआती निवेश के बाद मेंटेनेंस और मैनेजमेंट पर रनिंग इनवेस्टमेंट के साथ इन अपार्टमेंट्स में ऑक्युपेंसी रेट अच्छा रहता है, बशर्ते लोकेशन अच्छी हो.

सवाल यह है कि किराए के लिहाज से निवेशकों को प्रॉपर्टी के मामले में किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?

1. ब्रोकरों के जरिए लंबी अवधि की लीज पर प्रॉपर्टी को देकर बेहतर आमदनी का जरिया बनाया जा सकता है. इस मामले में भी हालांकि कुछ महीनों का रेंट एक किरायेदार के जाने और दूसरे के आने के बीच की अवधि और ब्रोकर के कमीशन की भेंट चढ़ जाएगा. जिन मार्केट्स में हाउसिंग लोन आसानी से मिल रहे हैं, वहां मकान खरीदने वालों की औसत उम्र घट रही है. यह देखना जरूरी है कि जहां आप रेंटल इनकम के लिए प्रॉपर्टी खरीदने वाले हैं, वहां क्या रेंटर्स का ऐसा अच्छा मार्केट है, जो खरीदने के बजाय रेंट पर रहने को तवज्जो दें. कमर्शियल प्रॉपर्टी अगर ठीक जगह पर हो रेंटल इनकम देने में रेजिडेंशियल से बेहतर रहती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...