सरकार सौर ऊर्जा पर विशेष ध्यान दे रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानते हैं कि भविष्य की ऊर्जा यही है. कारण, यह सस्ती है, आसानी से उपलब्ध है और सब से बड़ी बात यह है कि इस से पर्यावरण को नुकसान नहीं हो रहा है. ओजोन परत को इस से कोई खतरा नहीं है. मोदी सरकार ने इस दिशा में ठोस विचारविमर्श के बाद नीति तैयार की. वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य हासिल किया गया. इसी तरह पवन ऊर्जा का लक्ष्य भी 60 गीगावाट तय किया गया है.

सौर ऊर्जा का यह लक्ष्य नए माहौल में आसान नजर आ रहा है. इस की वजह, इस के  दाम में आ रही बड़ी गिरावट है. इस साल के अंत तक सौर ऊर्जा की दर 20 फीसदी तक सस्ती हो सकती है. वजह यह है कि इस के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले महत्त्वपूर्ण पुर्जा मौड्यूल्स की कीमत में 20 से 25 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है.

गिरावट का कारण चीन में सौर ऊर्जा के निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए मौड्यूल्स की भारी मांग है. मौड्यूल्स बनाने का काम करने वाली कंपनियों में इस वजह से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है जिस के कारण सौर ऊर्जा के मौड्यूल में भारी गिरावट आ रही है.

सौर ऊर्जा की दर में पहली बार गिरावट नहीं हो रही है बल्कि 2010 से लगातार इस में यह रुख बना हुआ है. पिछले 7 वर्षों में सौर ऊर्जा की दरें 73 फीसदी तक कम हो चुकी हैं. भारत में भी लगातार सौर ऊर्जा के इस महत्त्वपूर्ण उपकरण की दर घट रही है जिस के कारण गत फरवरी में सौर ऊर्जा की दर रिकौर्ड 3.30 यूनिट तक पहुंची है. इस महत्त्वपूर्ण उपकरण की दर घटाने से सौर ऊर्जा की दर में भारी गिरावट आ रही है.

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