आपको तो पता ही है कि देश में सभी गाड़ियों का इंश्योरेंस यानी बीमा होना कितना जरूरी है. लेकिन अगर आपने कोई नई गाड़ी ली है और उसका बीमा अभी तक नहीं करा पाये हैं तो अपना सारा काम छोड़कर सबसे पहले अपनी गाड़ी का बीमा करवायें.

अगर गाड़ी का फुल बीमा नहीं करा सकते हैं तो थर्ड पार्टी बीमा कराना जरूरी है. मालूम हो कि बिना थर्ड पार्टी बीमा के गाड़ी चलाना अपराध है. इसके लिए 1,000 रुपए तक का जुर्माना लग सकता है. इसके अलावा जेल की सजा भी हो सकती है.

देश में सड़कों पर दौड़ने वाली इस तरह की गाड़ियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार नई योजना बना रही है. जिसके तहत ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वह उन गाड़ियों की जानकारी दें जिनका बीमा है. यह बिना बीमा के दौड़ने वाली गाड़ियों को पकड़वाने में मदद करेगा.

अब मिनिस्ट्री पूरे डेटा को एक इस प्लेटफोर्म पर डालने जा रही है. जिससे राज्यों के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और ट्रेफिक पुलिस उन गाड़ियों की पहचान करेगी जो बिना बीमा के रोड पर चल रहे हैं या जिनकी गाड़ी का बीमा खत्म हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट के एक पैनल ने बीमा रेग्युलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथौरिटी (इरडा) से कहा कि वह कार और दो पहियां वाहनों के रजिस्ट्रेशन के समय ही 3 या 5 साल का बीमा दे क्योंकि हर साल प्रीमियम को देखते हुए ऐसा कर पाना मुमकिन नहीं है.

बता दें कि बीमा इंफोर्मेशन ब्यूरो (IIB) के मुताबिक देश में करीब 21 करोड़ वाहन हैं. इनमें से केवल 6.5 करोड़ गाड़ियों का ही बीमा है. अधिकारियों का अनुमान है कि रोड पर चलने वाले 50-55 फीसदी वाहनों के पास बीमा है और वह हर साल रिन्यूअल भी कराते हैं. पैसेजर कार की बात करें तो करीब 70-80 फीसदी कारों का बीमा है. देश में कुल वाहनों की संख्या में करीब 70 फीसदी हिस्सा दो पहियां वाहनों का है, जिनका बीमा सबसे कम यानी केवल 40-50 फीसदी ही है.

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