देश में निजी रक्षा उद्योग के क्षेत्र में एक बड़ा करार हुआ है. इसके तहत राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन एवं अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह ने संयुक्त रणनीतिक उपक्रम स्थापित करने का ऐलान किया है.
इस उपक्रम को राफेल विमानों के लिए बड़ा भारत में निर्माण सामग्री का बड़ा ऑर्डर मिलने की संभावना है. इससे रक्षा निर्माण में निजी क्षेत्र में रोजगार बढ़ेंगे. यह उपक्रम लड़ाकू विमान सौदे के तहत 22,000 करोड़ रुपये के ‘ऑफसेट’ अनुबंध को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
भारत से खरीद होगी
भारत और फ्रांस ने 23 सितंबर को 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते में 50 फीसदी का ऑफसेट अनुबंध का प्रावधान है जिसका मतलब यह हुआ कि सौदे की आधी राशि की सामग्री भारत में निर्मित होगी.
यानी दसॉल्ट एविएशन या इससे जुड़ी कंपनियां इसे भारत से खरीदेगी. इसी कड़ी में रियालंस एयरोस्पेस ने एक संयक्त उपक्रम को मंजूरी दी है.
दसॉल्ट-रिलायंस एयरोस्पेस
रियायंस समूह के बयान के मुताबिक संयुक्त उपक्रम दसॉल्ट-रिलायंस एयरोस्पेस के नाम से होगा. नागपुर में रिलायंस एयरोस्पेस पार्क स्थापित कर रहा है, जहां राफेल के लिए सामग्री तैयार होगी. यह सामग्री क्या होगी इसका ब्योरा जल्द तैयार होगा. साथ ही अभी स्पष्ट नहीं है कि इस उपक्रम को कितना बड़ा ऑर्डर मिलेगा. लेकिन रिलायंस समूह का दावा है कि वह इसमें एक अहम भागीदार होगा. सौदे के बाद यह पहला साझा उपक्रम है.
भागीदारी में क्या-क्या
दसॉल्ट और रिलायंस के बीच प्रस्तावित रणनीतिक भागीदारी में स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित एवं विनिर्मित (आईडीडीएम) के तहत परियोजनाओं के विकास पर जोर होगा. आईडीडीएम कार्यक्रम रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर की एक नई पहल है.
विमानों का सौदा
लड़ाकू विमानों का यह सौदा 7.87 अरब यूरो (करीब 59,000 करोड़ रुपये) का है. राफेल सौदे में अन्य कंपनियां फ्रांस की एमबीडीए तथा थेल्स शामिल हैं. इसके अलावा सैफरान भी ऑफसेट बाध्यता का हिस्सा है.
प्रौद्योगिकी साझेदारी
ऑफसेट अनुबंध में प्रौद्योगिकी साझेदारी की भी बात है जिस पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ चर्चा हो रही है. इसके साथ ही बड़े भारतीय कार्यक्रम का विकास होगा जिससे पूरे एयरोस्पेस क्षेत्र को लाभ होगा.
मेक इन इंडिया को गति मिलेगी
बयान के अनुसार, नया संयुक्त उपक्रम दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और कुशल भारत अभियान को गति देगा. बता दें कि रिलायंस समूह रक्षा क्षेत्र में जनवरी 2015 में आया. ऐसे में यह समझौता समूह के लिए उत्साहजनक है.