बाजार संगठनों और राजनीतिक दलों की ओर से इस दिवाली चाइनीज सामान के बहिष्कार की लगातार उठती मांग ने थोक व्यापारियों को मुश्किल में डाल दिया है. दिवाली की चाइनीज सप्लाई लगभग पूरी हो चुकी है और अब बिक्री में किसी भी तरह की बाधा से सिर्फ स्थानीय व्यापारियों का नुकसान होगा. हालांकि मेक इन इंडिया और दूसरी स्कीमों से स्थानीय उत्पादनकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है, लेकिन जानकारों का कहना है कि दिवाली की भारी डिमांड अभी घरेलू सप्लाइ से पूरी नहीं हो सकती.

हरियाणा सरकार के कुछ मंत्रियों के आह्वान के बाद मंगलवार को रेवाड़ी, सोनीपत और फरीदाबाद से कई ट्रेड असोसिएशंस की ओर से चाइनीज सामान की खरीद-बिक्री नहीं करने की अपील और कुछ जगहों पर चाइनीज सामान जलाने की खबरें भी आईं. पुरानी दिल्ली के कुछ बाजारों की ट्रेड असोसिएशंस भी अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर चाइना के खिलाफ समर्थन जुटाती दिखीं. लेकिन सीधे तौर पर चाइनीज इम्पोर्ट और होलसेल ट्रेडिंग से जुड़े कारोबारियों में इसे लेकर टेंशन देखी जा रही है.

फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेड असोसिएशंस के वाइस चेयरमैन और इम्पोर्टर पवन कुमार ने बताया, 'दिवाली का 90 पर्सेंट चाइनीज माल डिलिवर हो चुका है. पेमेंट भी हो चुका है और कस्टम ड्यूटी भी जा चुकी है. अब किसी भी तरह की रोक से चीन का कुछ नहीं बिगड़ने वाला, जो नुकसान होगा वह भारतीय ट्रेडर्स का होगा.'

उन्होंने बताया कि देश में दिवाली गुड्स की डिमांड साल दर साल 10-15 पर्सेंट की दर से बढ़ रही है. घरेलू मैन्युफैक्चरिंग इसे पूरा नहीं कर सकती. सरकार को चाहिए कि चीन चाइनीज चीजों से घरेलू इंडस्ट्री प्रभावित हो रही है, पहले उन पर बैन लगाए और घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन दे.

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