रघुराम राजन ने अगले कार्यकाल के लिए आरबीआई गवर्नर का पद संभालने से इनकार किया तो मोदी सरकार ने नए आरबीआई गवर्नर के रूप में उर्जित पटेल का नाम घोषित कर सबको हैरत में डाल दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगियों ने यह जताने की कोशिश की कि नए आरबीआई गवर्नर की खोज और नियुक्ति की प्रक्रिया अच्छी तरह जानी-समझी और नियंत्रित थी. साथ ही पीएम मोदी सहित वित्त मंत्री अरुण जेटली इस प्रक्रिया से नजदीकी से जुड़े थे. इस तरह सरकार इन्फ्लेशन पर काबू पाने के संघर्ष में आरबीआई के पीछे मजबूती से खड़ी है.

सरकार ने यह संदेश इसलिए दिया या देने का प्रयास किया क्योंकि सरकार नहीं चाहती थी कि अब किसी गवर्नर की छवि रॉकस्टार की बने, जैसे रघुराम राजन की बनी. अधिकारियों ने इस पर पूरा जोर दिया कि रिजर्व बैंक पर अकेले किसी भी शख्स का दबदबा स्थापित नहीं हो, जैसा कि राजन ने अपने तीन साल के कार्यकाल में किया था.

माना जाता है कि पटेल चमक-दमक की दुनिया से दूर रहना पसंद करते हैं और उनमें खुद को सरकार से ऊपर रखने की भी महत्वाकांक्षा नहीं है. वहीं, राजन ने अपने भाषणों में राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों को छूकर आरएसएस को अपना विरोधी बना लिया. राजन का यह कहना कि किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए सामाजिक सहिष्णुता जरूरी है, आरएसएस को बहुत खल गया. संघ और मोदी के समर्थकों को लगा कि राजन ने सरकार और हिंदू संगठनों की छवि खराब करने के लिए जानबूझ कर यह बयान दिया. हालांकि, राजन ने बाद में इस बात को खारिज कर दिया कि उनकी मंशा सरकार की आलोचना करने की थी.

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