देश के फूड रिटेल सेक्टर में निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार विदेश में रोड शो की तैयारी में है. तकरीबन दो महीने पहले इस पॉलिसी को हरी झंडी दी गई थी. हालांकि, अब तक इस सेक्टर में फॉरन डायरेक्ट पॉलिसी को लेकर कोई चर्चा नहीं है.

नियमों के काफी सख्त होने संबंधी आलोचना के मद्देनजर अधिकारियों ने वॉलमार्ट, नेस्ले, हाइंज, थाईलैंड के पीसी फूड्स और अन्य कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ उनकी राय मांगी थी और उनके इन्वेस्टमेंट प्लान के बारे में पूछा था. कंपनियों के एग्जिक्युटिव्स ने सलाह दी कि ऐसे स्टोर्स में रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े नॉन-फूड्स की अनुमति बेहतर आइडिया हो सकता है.

सरकार ने जून में लोकल सोर्सिंग वाले और पैकेज्ड फूड प्रॉडक्ट्स की रिटेलिंग में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दी, ताकि इसका फायदा किसानों को मिले और पारंपरिक और ईकॉमर्स दोनों प्लेटफॉर्म पर निवेश को भी बढ़ावा मिल सके. माना जा रहा है कि सरकार ने पॉलिसी में साबुन और शैंपू जैसे कुछ प्रॉडक्ट्स को शामिल करने का प्लान टाल दिया है, जो शिकायत का मुख्य आधार था. दरअसल, सिर्फ फूड रिटेलर्स के लिए बेहतर ऑफर नहीं लग रहा था.

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