फाइनेंस कंपनियों और प्रोफेशनल्स को बैंक खोलने का मौका मिल सकता है, लेकिन हो सकता है कि लंबे समय से ऐसा सपना देख रहे कई बड़े बिजनेस हाउसेज के हाथ ऐसा अवसर न आए. आरबीआई ने ड्राफ्ट रूल्स पेश किए हैं. इसमें नए 'यूनिवर्सल बैंकों' के लिए ऑन-टैप लाइसेंस की खातिर कम से कम 500 करोड़ रुपये की पूंजी की शर्त का प्रस्ताव है. ऐसे बैंक लोन देने वाले, डिपॉजिट स्वीकार करने वाले और फीस लेकर सेवाएं देने वाले बैंकों की तरह काम कर सकेंगे.
कम से कम 10 साल का अनुभव रखने वाले प्रोफेशनल्स के लिए दरवाजा खोलते हुए और बड़ी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को खुद को बैंकों में बदलने का मौका देते हुए आरबीआई ने कहा है कि ऐसे इंडस्ट्रियल हाउसेज को बैंकों को प्रमोट करने की इजाजत नहीं होगी, जिनके टोटल बिजनेस का 40% से ज्यादा हिस्सा नॉन-फाइनेंशियल एक्टिविटीज से आता हो.
नए नियमों के मुताबिक, 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की टोटल एसेट्स वाले और अपने बिजनेस का 60% से ज्यादा हिस्सा फाइनेंशियल सर्विसेज क्षेत्र में रखने वाले बिजनेस हाउसेज बैंकिंग लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं. एक तरह से आरबीआई ने यह भी कहा है कि कॉरपोरेट्स को किसी भी बैंक में 10% से ज्यादा स्टेक नहीं लेने दिया जाएगा.
पिछले साल आरबीआई ने 20 नए संस्थान बनाने की मंजूरी दी थी. इनमें स्मॉल और पेमेंट्स बैंक शामिल थे. आईडीएफसी और बंधन को ही पूर्ण रूप से कमर्शियल बैंक खोलने की इजाजत दी गई थी. ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक, पहले 5 वर्षों में प्रमोटर का स्टेक 40% तक ही रहेगा और नए बैंक को 6 वर्षों में शेयर बाजार पर लिस्ट होना होगा. 5 साल के बाद प्रमोटर के अतिरिक्त हिस्से को घटाकर 40% पर लाना होगा, फिर कामकाज के 10 वर्षों में 30% और 15 वर्षों में 15% पर लाना होगा.