आप हर महीने अपनी सैलरी के पैसों से पीएफ भरते है. आपकी मेहनत की कमाई का एक हिस्सा आपकी कंपनी आपके पीएफ के लिए भरती भी है या नहीं या सारे पीएफ के पैसे कंपनी की जेब में चले जाते है. यह सवाल इसलिए क्योंकि देशभर में हजारों कंपनियां ऐसी हैं जिन पर ईपीएफओ का हजारों करोड़ रुपये बकाया है. यानी, उन कंपनियों ने कर्मचारियों की सैलरी से काटे रुपये खुद ही गटक लिए.

10,000 से ज्यादा कंपनियां कर रही धोखा

ऐसा करने वाली कोई एक दो कंपनियां नहीं है जो इस तरह से पीएफ के पैमेंट में गड़बड़ कर रही हैं. 10,000 से ज्यादा कंपनियों ने एंप्लॉयीज प्रविडेंट फंड पेमेंट्स में गड़बड़ी की है. इनमें 2,200 कंपनियों पर ईपीएफओ का कम-से-कम 2,200 करोड़ रुपये बकाया है. यह राशि एंप्लॉयीज की सैलरी से काटी गई वह रकम है जिसे ईपीएफओ में जमा करवाना चाहिए था.

बढ़ रही गड़बड़ कंपनियों की तादाद

गड़बड़ियां करनेवाली संस्थाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2014-15 में डिफॉल्टर्स की तादाद 10,091 थी जो दिसंबर 2015 में बढ़कर 10,932 हो गई. ऑनलाइन कन्जयूमर फोरम पर शिकायतों की बाढ़ आ रही है. नौकरी छोड़नेवाले या रिटायर होनेवाले सैकड़ों कर्मचारियों को पीएफ का पैसा नहीं मिल रहा mहै.

तमिलनाडु टॉप पर

डिफॉल्टर्स की लिस्ट में पुदुचेरी और तमिलनाडु की 2,644 कंपनियों के साथ टॉप पर हैं. इनके बाद महाराष्ट्र (1,692), केरल और लक्षद्वीप (1,118) का नंबर आता है.

टॉप डिफॉल्टर कंपनियां

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया गड़बड़ी करनेवाली संस्थाओं में टॉप पर है. उसके पास ईपीएफओ का 192 करोड़ का बकाया है. फिर नंबर आता है मुंबई के एचबीएल ग्लोबल, दिल्ली के अहलुवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स इंडिया लि. का जिन पर 64.5 करोड़ और 54.5 करोड़ रुपये बकाया है.

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