एक बार मैं अपने पति के साथ एक परिचित से मिलने गई. काफी कोशिशों के बाद भी हम बारबार रास्ता भटक रहे थे. आखिर में इन्होंने एक दुकानदार से रास्ता इस प्रकार पूछा, ‘‘सुनो दाज्यू, इसी ढलान में क्या गंजेबाल वाले पीसी तिवारी रहते हैं?’’ दुकानदार ने एक पल सोचा, फिर बोला, ‘‘अरे भाईसाहब, या तो तिवारी गंजा होगा या फिर बाल वाला, यह गंजेबाल का क्या मतलब?’’ ‘‘मेरा मतलब आगे से आधा सिर गंजा व पीछे से बाल वाला.’’ इन का ऐसा विवरण सुन कर मैं तो खिलखिला कर हंसने लगी और ये दोनों खिसिया कर चुप हो गए.

दीपा, भोपाल (म.प्र.)

*

हमारी शादी की 8वीं वर्षगांठ थी. इस बार हम ने वर्षगांठ अकेले ही मनाने का फैसला किया. ये सुबह को जल्दी घर आने का वादा कर के औफिस चले गए. शाम तक मैं ने घर की अच्छी तरह से साफसफाई कर के तथा फिश, चिकन, रोटी आदि बना कर पूरी तरह तैयारी कर ली थी. फिर मैं सजसंवर कर इन का इंतजार करने बैठ गई. रात के 10 बज गए परंतु ये नहीं आए. मेरा गुस्सा सातवें आसमान को छूने लगा था. लगभग 10.30 को ये घर आए. इन को देख कर मैं भड़क गई और जोरजोर से खरीखोटी सुनाने लगी. ये मेरा गुस्सा देख कर केक, जो साथ ले कर आए थे, को डाइनिंग टेबल पर रख कर बिना बोले बैडरूम में गए और बिस्तर में दुबक कर लेट गए. गुस्से में मैं भी भुनभुनाती हुई बिस्तर में जा कर लेट गई. थकी हुई तो थी ही, मुझे नींद आ गई. थोड़ी देर बाद मेरी आंख खुली. देखा, रात के पौने 12 बज गए थे. और ये सोए पड़े थे. मुझे इन को यों भूखा सोया देख कर बहुत तरस आया. मैं जल्दी से उठी और सोचा कि जल्दी से खाना गरम कर इन को मना कर उठाती हूं और 12 बजे तक केक काट कर खाना खाएंगे. लेकिन जैसे ही मैं ने डाइनिंग टेबल पर पहुंच कर खाने के डोंगे खोले, मैं अवाक् रह गई. सारे डोंगे खाली थे. मेरे सोते ही ये जल्दी से उठे और सारा खाना चट कर गए थे. और फिर आराम से दूर जोरजोर से खर्राटे भरते हुए सो गए थे.

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