हर व्यक्ति को अपनी वित्तीय सुरक्षा के लिए 3-6 महीने के खर्च के पैसे जमा कर रखना बेहद ही जरूरी है, क्योंकि विपत्ती कभी बोल कर नहीं आती. सोचिये जरा, अगर अचानक किसी वजह से आपकी नौकरी चली जाती है और आमदनी रुक जाती है तो क्या होगा? जब तक आपको दूसरी नौकरी नहीं मिल जाती तब तक आपके आगे का खर्चा कैसे चलेगा? तो इसलिए जरूरी है कि कुछ फंड को अपने भविष्य के लिए बचा कर रखा जाए, जिससे इस फंड का उचित उपयोग कर आने वाली मुश्किल दौर से कुछ आसानी से निकला जा सके.

बिजनस में नुकसान होने या बीमारी की वजह से लंबी छुट्टी की वजह से भी टेंपरेरी इनकम लौस हो सकती है. इस फंड से मेडिकल खर्च जो इंश्योरेंस में कवर नहीं होते, उन्हें भी पूरा किया जा सकता है. अब इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि इमरजेंसी फंड का पैसा कहां लगाना चाहिए.

बचत खाते के ब्याज पर टैक्स संबंधी फायदे

इनका इस्तेमाल भी इमरजेंसी फंड बनाने के लिए किया जा सकता है. बचत खाते से 10,000 रुपये का ब्याज टैक्स फ्री है. इसलिए अगर आप इसमें 2.85 लाख रुपये रखते हैं और उस पर 3.5 पर्सेंट का ब्याज मिलता है तो ऐसे वक्त पर आपको टैक्स की चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती.

फिक्स्ड डिपाजिट

अधिकतर बैंक फिक्स्ड डिपाजिट तोड़ने पर भारी पेनाल्टी नहीं लगाते, इसलिए इमरजेंसी फंड का कुछ पैसा इसमें भी रखा जा सकता है. हालांकि, बैंक एफडी पर तुलनात्मक तौर पर अभी कम ब्याज मिल रहा है. फिक्स्ड डिपाजिट शुरू करने का एक तरीका आपके सेविंग्स एकाउंट से लिंक्ड स्वीप-इन फैसिलिटी है. हालांकि, यह याद रखिए कि फिक्स्ड डिपाजिट से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स चुकाना पड़ता है. यह लिक्विड फंड के शार्ट टर्म कैपिटल गेन की तरह होता है.

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