देश के आठ प्रमुख शहरों में जुलाई सितंबर तिमाही में घरों की बिक्री में 35 प्रतिशत गिरावट आई है. एक अनुसंधान कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि संपत्ति बाजार में मांग सुस्त बनी हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 की तीसरी तिमाही में आठ शहरों में 22,699 आवासीय इकाइयां बिकीं. इससे पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 34,809 इकाई रहा था. इन आठ शहरों में गुड़गांव, नोएडा, मुंबई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई शामिल हैं. माना जा रहा है कि इससे दाम भी गिरे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘प्रमुख शहरों में आवासीय इकाइयों की मांग 35 प्रतिशत घटकर 22,699 इकाई रह गई, जो पिछली तिमाही में 34,809 इकाई रही थी. नई परियोजनाओं में कमी की वजह से यह स्थिति बनी.’’ इसमें कहा गया है कि मौजूदा तिमाही से मांग के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है.

सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में 2017 की पहली छमाही में घरों की बिक्री 26 फीसदी गिरी है. नाइट फ्रैंक इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद भी घरों की डिमांड सुस्त बनी हुई है. पिछले 18 महीनों में कीमतों में 20 फीसदी करेक्शन हुआ है, लेकिन घरों की डिमांड इसके बावजूद नहीं बढ़ी है. दिल्ली-एनसीआर के प्रौपर्टी मार्केट में अनसोल्ड घरों का स्टौक 1.8 लाख यूनिट्स पर बना हुआ है. यह देश में सबसे ज्यादा है. इसे बेचने में डिवेलपर्स को साढ़े चार साल तक का वक्त लग सकता है.

नाइट फ्रैंक इंडिया ने कहा है कि 2017 की पहली छमाही में 17,188 यूनिट्स की बिक्री हुई, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में 23,092 यूनिट्स की बिक्री हुई थी. इस तरह से इसमें 26 फीसदी की गिरावट दिखाई देती है. इससे पहले के छह महीनों के मुकाबले घरों की बिक्री में 2 फीसदी की मामूली बढ़त दिखाई दी है. नोटबंदी के बाद सबसे कम छमाही सेल्स का सामना इंडस्ट्री को करना पड़ा.

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