सरकार का लक्ष्य सब को आवास उपलब्ध कराने का है. यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. इस क्रम में जहां बिल्डरों पर नकेल कसी जा रही है वहीं रियायती दरों पर मकान बनाने वाले निजी भवन निर्माताओं को प्रोत्साहित करने पर बल भी दिया जा रहा है.

सरकारीनिजी भागीदारी यानी पीपीपी के तहत भवन निर्माण पर जोर दिया जा रहा है. इस योजना के तहत निजी भूमि पर निर्मित किए जाने वाले भवनों के निर्माण पर ब्याज में ढाई लाख रुपए तक की मदद की योजना है. इस के अलावा जो बिल्डर बिना बैंककर्ज के भवन निर्माण करेंगे, निजी जमीन पर भवन बनाने पर डेढ़ लाख रुपए तक की मदद सरकार करेगी. इस के अलावा सरकारी जमीन पर बिल्डरों को भवन निर्माण की इजाजत दी जाएगी और भवन निर्माता वहां मकान बना कर उपभोक्ताओं को बेच सकेंगे.

इस लक्ष्य को हासिल करने में सरकार को दिक्कत न आए, इस के लिए दीवाला तथा अक्षमता शोधन संशोधन विधेयक पारित किया गया है. इस विधेयक को हाल ही में लोकसभा की मंजूरी भी मिल गई है. इस विधेयक में घर खरीदारों को जबरदस्त राहत दी गई है. बिल्डर के दीवालिया घोषित होने पर भी खरीदार को कोई नुकसान नहीं होगा. इस कानून के तहत विवाद का समाधान 270 दिनों में किए जाने का प्रावधान किया गया है.

अब जबकि आम चुनाव करीब हैं तो सरकार तरहतरह के कदम उठा रही है, दरअसल, ये सब चुनावी नारे हैं, क्योंकि मकान बनाने के लिए जिस पूंजी की जरूरत होती है वह न आम आदमी के पास है, न बिल्डरों के पास और न ही सरकार के.

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