रुपये में गिरावट लगातार छठे दिन, बुधवार को भी जारी रही. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और उभरती अर्थव्यवस्था वाले बाजारों में कमजोरी के रुख के कारण रुपया डालर के मुकाबले 17 पैसे की एक और बड़ी गिरावट के साथ 71.75 के नए सर्वकालिक निम्न स्तर पर बंद हुआ. दिन के कारोबार के दौरान रुपया 71.97 रुपये के ऐतिहासिक निम्न स्तर तक लुढ़क गया था जहां कारोबार के अंत की ओर उसे कुछ राहत मिलती दिखाई दी. पिछले छह कारोबारी सत्रों के दौरान रुपये में 165 पैसे की गिरावट आई है.

हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने हरकत में आते हुए रुपये की गिरावट को थामने के कुछ उपाय किए जिसकी वजह से यह भारी गिरावट की स्थिति से बच गया. बढ़ते व्यापार युद्ध की आशंकाओं तथा कच्चे तेल की वैश्विक कीमत के बढ़ते जाने की पृष्ठभूमि में वैश्विक व्यापार की स्थिति बिगड़ने से विदेशीमुद्रा विनिमय कारोबार से जुड़े व्यापारियों में घबराहट फैल गई.

भारतीय रुपया हर दिन गिरने का नया रिकौर्ड बना रहा है. करीब 68.50 पर बने रहने वाले रुपये में डालर के मुकाबले 4 प्रतिशत की गिरावट आई है. बुधवार सुबह सकारात्मक शुरुआत करने वाला रुपया गिरकर 71.79 के नए स्तर तक पहुंच गया है. दलाल स्ट्रीट में बिक्री की शुरुआत के साथ ही मंदी की स्थिति देखने को मिली.

रुपये में गिरावट की वजह

भारतीय रुपये में आई रिकौर्ड गिरावट के पीछे की वजह उभरते हुए बाजारों में आई गिरावट, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और डालर का मजबूत होना है. तुर्की की मुद्रा लीरा और कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतें भी रुपये की ऐतिहासिक गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं. अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें और एफआईआई की तेज बिक्री एक अन्य कारण है.

आम आदमी पर असर

एक कमजोर मुद्रा हमेशा देश को नुकसान पहुंचाती है. चाहे फिर वह भारत हो या फिर दुनिया का कोई दूसरा हिस्सा. आसान शब्दों में कहा जाए तो मुद्रा में गिरावट होने से सबकुछ महंगा हो जाता है. इसमें विलासिता शामिल है जैसे विदेश में छुट्टी मनाना, विदेशों में पढ़ाई, आयातित सामान जैसे कि कार और स्मार्टफोन खरीदना आदि. यह मुद्रास्फीति को जन्म देता है और रोटी, कपड़ा और मकान महंगा हो जाता है.

रुपये में गिरावट का एक सीधा असर होम लोन पर पड़ता है. इसका मतलब यह है कि यह घर खरीदने के लिए सही समय नहीं है. एक और क्षेत्र जो चिंता करने वाला है वह है आयात. डालर के मुकाबल रुपये की कम कीमत आयात को महंगा बनाता है. कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिन्हें आयात करना ही पड़ता है. भारत में तेल का आयात जरूरी है. जो चालू खाता घाटे के मोर्ट पर निश्चित तौर पर दोहरा झटका है.

हालांकि, निर्यातकों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि रुपये में गिरावट के कारण निर्यात में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होती है, हालांकि व्यापार युद्ध ने भारत को नकारात्मक रुप से प्रभावित किया है. आईटी और फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज को रुपये की कीमत गिरने का लाभ मिल सकता है लेकिन तभी जब व्यापार युद्ध इसमें बाधा न बने.

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