स्नैपडील ने 13 मई से अपने प्लेटफॉर्म सेलर्स को किसी भी प्रॉडक्ट के मैक्सिमम रिटेल प्राइस पर 70% से ज्यादा डिस्काउंट देने से रोक दिया है. ऑनलाइन मार्केटप्लेस ने बायर्स की रिटर्निंग हैबिट पर लगाम लगाने के लिए किया है.कंपनी ने 9 मई को सभी सेलर्स को एक मेसेज भेजा था.

उसके मुताबिक, 'हमने पाया है कि बहुत ज्यादा डिस्काउंट यानी डीप डिस्काउंटिंग वाले प्रॉडक्ट्स अक्सर कस्टमर्स की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते. इसके चलते प्रॉडक्ट्स को लेकर कस्टमर्स में अंसतोष बढ़ता है और उसको रिटर्न किए जाने के मामले भी बढ़ते हैं.कस्टमर्स एक्सपीरियंस बेहतर बनाने के लिए अब आपको न तो एमआरपी पर 70% से ज्यादा डिस्काउंट पर नए प्रॉडक्ट्स लिस्ट कराने और न ही लिस्टेड प्रॉडक्ट्स की प्राइस अपडेट करने दिया जाएगा.'

स्नैपडील सहित बाकी दिग्गज मार्केटप्लेस के सेलर्स की शिकायत है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के ‘नो क्वेश्चन आस्क्ड पॉलिसी’ के चलते बायर्स के मर्चेंडाइज लौटाने की घटनाएं बढ़ रही हैं. सेलर्स का कहना है कि मर्चेंडाइज रिटर्न बढ़ने से लॉजिस्टिक्स संबंधित दिक्कतें हो जाती हैं क्योंकि इनवेंटरी लंबे समय के लिए ट्रांजिट में फंस जाती है और उसके चलते एकाउंटिंग में भी गड़बड़ियां हो जाती हैं.

रिटेल कंसल्टेंसी फर्म थर्ड आइसाइट के देवांग्शु दत्ता के मुताबिक, ‘यह स्ट्रैटेजी कारगर हो सकती है क्योंकि ईकॉमर्स में नई एफडीआई पॉलिसी को सेलर्स चैलेंज कर सकते हैं. उन्होंने कहा, 'नई ई-कॉमर्स पॉलिसी का मकसद साफ है. सरकार डीप डिस्काउंटिंग को कंट्रोल करना करना चाहती है. इसलिए सरकार को स्नैपडील के फैसले से कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. लेकिन यह पॉलिसी कीमतों को प्रभावित करेगी इसलिए सेलर्स इसको चुनौती दे सकते हैं.'

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