सपनों का आशियाना बनाना हर किसी की चाह होती है. इस चाह को हकीकत में बदलने के लिए अगर आप लोन ले रहे हैं तो इस की बारीकियों को जरूर जान लें. पढि़ए कृष्णा सरीन का लेख.

अभी कुछ साल पहले तक ऋण ले कर मकान बनाना या खरीदना जितना कठिन था अब वह उतना ही आसान हो गया है. मकान के अलावा अब गाड़ी, फ्रिज, कंप्यूटर, टैलीविजन जैसे घरेलू उपकरणों को खरीदने, विदेशयात्रा, उच्चशिक्षा और विवाह आदि के लिए भी बड़ी आसानी से व आकर्षक शर्तों पर बैंक और दूसरी वित्तीय संस्थाएं होम लोन देने लगी हैं.

आम जनता भी इस सुविधा का पूरापूरा लाभ ले रही है. जिन सुखसुविधाओं को जुटा पाने की लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी आज वे सभी प्रत्यक्ष रूप में उन के पास मौजूद हैं.

मकान बनाने या खरीदने के लिए जब होम लोन लिया जाता है, आमतौर पर वह लंबी अवधि का होता है. अवधि की समाप्ति पर कभीकभी होम लोन लेने वालों को कुछ ऐसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है जिन के बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा.

होम लोन लेते समय और लोन लेने के बाद यदि व्यक्ति कुछ बातों का विशेष ध्यान रखे तो वह भविष्य की परेशानियों से बच सकता है :

  1. ऋण हमेशा मान्यताप्राप्त वित्तीय संस्थाओं से ही लेना चाहिए. ऐसे सभी संस्थानों के कामकाज पर सरकार का आंशिक या पूर्ण नियंत्रण रहता है, जिस से न तो वे मनमानी वसूली कर सकते हैं और न ही होम लोन वसूली के लिए गलत और कठोर साधनों का इस्तेमाल करते हैं. ये संस्थाएं जो भी कार्य करती हैं, कानून के दायरे में रह कर ही करती हैं.
  2. कुछ गैर मान्यताप्राप्त वित्तीय संस्थान भी मकान, गाड़ी आदि खरीदने संबंधी पर्सनल लोन देते हैं. पर सरकार का इन पर कोई नियंत्रण नहीं होने के कारण एक तो इन संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता नहीं रहती, दूसरे, होम लोन वसूली के लिए कभीकभी ऐसे संस्थान बड़े ही कठोर साधनों का इस्तेमाल करते हैं. जहां तक संभव हो, व्यक्ति को ऐसे संस्थानों से लोन लेने से बचना चाहिए. यदि कभी फंस ही जाएं तो धैर्य से काम लेते हुए जल्दी से लोन चुकाने का प्रयत्न करें.
  3. ऋण लेने से पहले उन नियमों व शर्तों का अच्छी तरह से अध्ययन करें जिन पर बैंक या वित्तीय संस्थान आप को लोन देने को तैयार हैं. जो बात समझ में नहीं आती है उसे बिना किसी संकोच के तब तक संस्थान से समझने का प्रयास करें जब तक आप की शंका का निवारण न हो जाए. पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही आगे की कार्यवाही करें.
  4. लोन की राशि, लोन की अवधि, ब्याजदर, मासिक किस्त की राशि, ब्याजदर स्थिर है या परिवर्तनीय आदि के बारे में पूरी जानकारी लें. आप की मासिक किस्त की राशि इतनी होनी चाहिए जिस का आप बिना किसी परेशानी के हर महीने भुगतान कर सकें.
  5. लोन संबंधी दस्तावेज या ऐग्रीमैंट जब तक पूरी तरह भरे हुए न हों उन पर दस्तखत न करें. लोन की राशि, लोन की अवधि, ब्याजदर और मासिक किस्त की राशि पर विशेष ध्यान दें. दस्तखत करते समय उस दिन की तारीख डालना न भूलें.
  6. मासिक किस्तों के चैक पूरी तरह भर कर दें. उन को ‘अकाउंट पेयी’ लिख कर क्रौस करें और संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थान से चैक प्राप्त करने की रसीद अवश्य लें.
  7. इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आप की किस्त का चैक ‘डिसऔनर या बाउंस’ न हो. जिस तारीख को आप का चैक भुगतान के लिए आप के बैंक में आने वाला हो उस के कुछ दिन पहले और कुछ दिन बाद तक आप के बैंक खाते में उतनी रकम अवश्य जमा होनी चाहिए जितने का चैक आप ने दे रखा है. भुगतान हुए बिना चैक के लौटने पर आप को चैक बाउंस होने का जुर्माना तो देना ही होगा साथ ही, आप की प्रतिष्ठा पर भी सवालिया निशान लग सकता है.
  8. लोन लेने के लिए कभीकभी बैंक या वित्तीय संस्थान के पास व्यक्ति को अपनी चलअचल संपत्ति गिरवी रखनी पड़ती है और ऐसी संपत्ति के मूल दस्तावेज (जैसे मकान की रजिस्ट्री) बैंक या वित्तीय संस्थान को देने होते हैं. मूल दस्तावेज देते समय संबंधित संस्थान से उन की प्राप्ति की रसीद अवश्य लें. ऐसे दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां भी अपने पास अवश्य रखें.
  9. अपने जिस बैंक के चैकों द्वारा आप लोन की किस्तों का भुगतान करते हैं उस की वे सभी पासबुकें संभाल कर रखें जिन में होम लोन की किस्तों का भुगतान दर्शाया गया है. इन पासबुकों को तब तक संभाल कर रखना बहुत जरूरी है जब तक सारी किस्तों का भुगतान न हो जाए और गिरवी रखी गई संपत्ति के मूल दस्तावेज आप को वापस न मिल जाएं. बैंक या वित्तीय संस्था से कोई देनदारी नहीं है, इस बाबत लिखित में अवश्य लें.
  10. समयसमय पर भुगतान की गई और शेष बची अपनी किस्तों के बारे में अपने बैंक या वित्तीय संस्थान को लिखते रहें और उन से भी लिखित में लेते रहें.
  11. यदि आप ने लोन ‘घटतीबढ़ती’ ब्याज दर के आधार पर लिया है तब संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थान की ब्याजदर में परिवर्तन होने पर उस से तुरंत संपर्क करें. नई ब्याजदर लागू होने से आप की कितनी किस्तें कम हुई हैं या बढ़ी हैं, यह लिखित में प्राप्त करें और उसी के अनुसार अपनी शेष बची किस्तों की गणना करें.
  12. किसी किस्त के चैक का भुगतान न होने के बारे में यदि आप के पास फोन या पत्र आता है तब उस पर तुरंत ध्यान दें. भुगतान से संबंधित दस्तावेजों (जैसे बैंक पासबुक आदि) के साथ लोन देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान से संपर्क करने पर वे भुगतान अपने खातों में चढ़ा लेंगे और भविष्य की परेशानियों से आप बच जाएंगे.

लोन का हिसाबकिताब रखना, जितना जरूरी लोन देने वाली एजेंसी के लिए है उतना ही जरूरी है लोन लेने वाले के लिए भी है. समयसमय पर दोनों का मिलान भी आवश्यक है ताकि यदि कोई अंतर हो तो उसे दूर किया जा सके.

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