सरकार देश के 3 राज्यों-तमिलनाडु, ओडिशा तथा बिहार में एकएक अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजैक्ट (यूएमपीपी) स्थापित कर रही है. इन परियोजनाओं की स्थापना से बिजली संकट को कम किया जा सकेगा. बिहार में यह परियोजना बांका में स्थापित की जानी है. नए यूएमपीपी के तहत सब से ज्यादा फायदा किसानों को होगा. बिजली परियोजना के लिए किसान की जमीन को नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत लिया जाएगा. बिजली विभाग इस योजना के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए पहले की तुलना में 50 फीसदी अधिक का भुगतान करेगा. इस तरह परियोजना की लागत में स्वाभाविक रूप से बढ़ोतरी होगी. अब तक इन परियोजनाओं को पूरा करने की लागत 20 हजार करोड़ रुपए के आसपास थी लेकिन नए कानून के तहत यह परियोजना 50 फीसदी महंगी हो जाएगी और उस की अनुमानित लागत 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगी. निश्चित रूप से इस का नुकसान बिजली उपभोक्ताओं को उठाना होगा और उन्हें महंगी बिजली खरीदनी पड़ेगी. बिजली विभाग बिजली की लाइन खींचने के लिए बिजली के पोल लगाने के वास्ते इस्तेमाल जमीन के लिए 1893 के पोस्ट ऐंड टैलीग्राफ कानून के तहत जमीन का मुआवजा देता है, जिस की वजह से बिजली की लाइन खींचने में भारी दिक्कत होती है.

इस कानून के तहत सिर्फ फसल का मुआवजा दिया जाता है. मेगा पावर परियोजना के लिए अब तक पुराने कानून के तहत भूमि अधिग्रहण होता था लेकिन अब परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण नए कानून के दायरे में किया जाएगा. यह उचित है और इस का सीधा फायदा किसान को मिलेगा.

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