साइबर सुरक्षा आज सब से बड़ा संकट बन गया है. बैंकों से रुपए निकालने की घटनाएं बढ़ रही हैं. आएदिन खबरें आती हैं कि लोग एटीएम कार्ड के कारण धोखाधड़ी केजरिए लूटे जा रहे हैं. पुलिस इस तरह की शिकायतों को दर्ज करने में लोगों की मदद नहीं करती है. धोखेबाज नएनए तरीके अपना कर लोगों के एटीएम के नंबर हासिल कर के उन्हें लूटने में लगे हैं. हालांकि बैंक लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए बारबार चेतावनी दे रहे हैं कि उन की तरफ से कोई सूचना नहीं मांगी जाती है, इसलिए कोई ग्राहक अपनी सूचनाएं फोन पर किसी को न दे. इस के बावजूद लोग बड़ी संख्या में लुट रहे हैं.
इस बीच, रिजर्व बैंक ने वित्तीय संस्थानों तथा बैंकों के साथ साइबर सुरक्षा को और कड़ा करने के लिए अंतर अनुपालन स्थायी समिति के गठन की योजना बनाई है. यह समिति साइबर सुरक्षा से नजात दिलाने के लिए बैंक को अपनी सिफारिशें देगी. बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों में साइबर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. इन घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए बैंक इस समिति की सिफारिशों के आधार पर कदम उठाएगा.
केंद्रीय बैंक ने पिछले वर्ष जून में बैंकों को अपना साइबर सुरक्षा तंत्र और मजबूत करने का निर्देश दिया था. इस में बैंकों से सुरक्षा मानकों के उल्लंघन की विस्तृत सूचना देने का भी निर्देश दिया था. इन दिशानिर्देशों के बावजूद बैंकों को बड़े साइबर हमले का शिकार होना पड़ा था. साइबर हमले के कारण 60 लाख बैंककार्ड का डाटा चोरी हो गया था.
बहरहाल, अब बैंक इस दिशा में सख्त कदम उठा रहे हैं. नए दिशानिर्देशों के तहत किए जा रहे सुरक्षा उपायों को देखते हुए देश का सब से बड़ा स्टेट बैंक औफ इंडिया 6 लाख 25 कार्ड दोबारा जारी करने की योजना बना रहा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि नए दिशानिर्देशों से डिजिटल इंडिया का सपना एक कदम आगे बढ़ेगा.