प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की परिकल्पना ने देश की बड़ी आबादी के भीतर हलचल तो पैदा की ही है, साथ ही वालमार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय खुदरा कंपनियों में भी खासा आकर्षण उत्पन्न कर दिया है. इन कंपनियों ने अपने अनुमान के आधार पर स्मार्ट सिटी की संभावित जगहों पर निवेश का जुआ खेलने की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है. स्मार्ट सिटी में सबकुछ स्मार्ट होने की परिकल्पना समाहित है. इन शहरों का जीवनस्तर अन्य शहरों की तुलना में ऊंचा होगा. वहां नागरिक समस्याएं नहीं होंगी और जो भी दिक्कत उत्पन्न होगी, चंद घंटों के भीतर उन का समाधान सुनिश्चित होगा.
केंद्र सरकार राज्यों के सहयोग और जनभागीदारी के सहारे मोदी के इस सपने को साकार करना चाहती है. इस के लिए विभिन्न स्तर पर काम चल रहा है. शहरों के चयन को ले कर अनुमान लगाए जा रहे हैं और इसी परिकल्पना में कई कसबों और शहरों में जमीन की कीमत अचानक घटबढ़ रही है. सांसद, मंत्री अपने क्षेत्र में स्मार्ट शहर स्थापित करने के लिए लामबंदी कर रहे हैं.
शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने इस बारे में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में यह बात स्वीकार भी की है. कोई जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में किसी शहर या कसबे को स्मार्ट बनाने की बात करता है तो वहां जमीन के दाम रातोंरात बढ़ रहे हैं. यहां तक कि कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ा कर कुछ शहरों के स्मार्ट सिटी बनने का अनुमान लगाते हुए वहां निवेश करने की योजना बना ली है. किस शहर, कसबे या गांव का ढांचागत विकास कर के उसे स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा, यह भविष्य की कोख में है लेकिन इसे ले कर जो ख्वाब है वह करोड़ों लोगों की धड़कनें बढ़ा रहा है और रहस्य बन कर अच्छेअच्छों को छल रहा है.