वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने 15वीं लोकसभा का आखिरी बजट अंतरिम बजट के रूप में पेश किया. शोरशराबे के बीच वित्तमंत्री को जब भी अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनानी होतीं तो वे जोर से अपनी पंक्ति पूरी करते या एक ही वाक्य को दोहराते. उन की पूरी कोशिश थी कि उन का अंतरिम बजट चुनाव में उन के लिए फायदे वाला हो लेकिन उन का यह प्रयास बहुत सफल होता हुआ नजर नहीं आता है. उन्होंने महंगाई रोकने की बात नहीं की, आदमी की बुनियादी जरूरत की वस्तुओं की कीमतें कम हों, इस पर चर्चा नहीं की. फोकस सिर्फ इस बात पर रहा कि सरकार ने 10 साल यानी यूपीए सरकार के 2 कार्यकाल में किस तरह से आम आदमी को मजबूत बनाने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने अपने लगातार 2 कार्यकाल के शासनकाल में 14 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी की रेखा से बाहर निकाला है. इधर, अकेले दिल्ली में लाखों लोग आज भी सराय में सर्द रातें बिता रहे हैं. उन की संख्या घटी नहीं, बढ़ी है. ऐसे में वित्त मंत्रीजी अपना आंकड़ा कहां से लाए? संप्रग ने सामाजिक क्षेत्र, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य तथा ग्रामीण विकास पर 1 दशक में व्यय को 1 लाख 33 करोड़ रुपए से बढ़ा कर 5 लाख 56 करोड़ रुपए किया है लेकिन इस का फायदा क्या उसी स्तर पर हुआ है, इस का आंकलन कभी नहीं किया गया. पैसे का आवंटन ही महत्त्वपूर्ण नहीं है, महत्त्वपूर्ण यह देखना भी है कि पैसे का सही इस्तेमाल हुआ है, संप्रग सरकार ने यह नहीं किया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...