चुनाव सभाओं में भीड़ उमड़ी हो या न उमड़ी हो लेकिन मतदान केंद्रों पर भीड़ जरूर उमड़ी है और मजबूत लोकतंत्र में यही होता है. ज्यादा मतदान होना लोकतंत्र के भविष्य के लिए भी अच्छा संकेत है. लेकिन इस बार कंपनियों ने भी मतदान का प्रतिशत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. देश की कई प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वोट देने के लिए प्रेरित किया है. कंपनियां मोबाइल संदेश दे कर मतदान के दिन तक अपने कर्मचारियों को मतदान के लिए प्रेरित करती रहीं. डाबर, कोकाकोला, इन्फोटैक, गूगल, थौमस कुक जैसी कई प्रतिष्ठित कंपनियां अपने कर्मचारियों को हर हाल में मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करती रही हैं. इन कंपनियों ने एसएमएस या ईमेल ही नहीं भेजे बल्कि कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं.

इन्फोसिस ने एक निजी स्वयंसेवी संगठन के जरिए अपने 8 हजार कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया. उसी तरह से एक अमेरिकी कंपनी अपने करीब पौने 8 हजार कर्मचारियों से ईमेल आदि के जरिए जुड़ कर लगातार उन्हें वोट देने के लिए तैयार करती रही. लोकतंत्र में यह अलग तरह की पहल है. नौकरियां युवा आएदिन बदलते रहते हैं. कहा जाता है कि इस तरह की मानसिकता में कर्मचारी भावनात्मक रूप से कंपनी से जुड़ा नहीं रहता है लेकिन लोकतंत्र की मजबूती के लिए कंपनियों, खासकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने जो पहल की है वह स्वागतयोग्य है.

 

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