पायल अपने जन्मदिन पर कपड़े लेने के लिए शौपिंग मौल गई और बड़े जतन से अपनी पसंद के कपड़े और अन्य सामान ट्रौली में भर कर बिल काउंटर पर पहुंची. बिलिंग काउंटर पर बिल बनवाने के बाद पैसे निकालने के लिए जैसे ही उस ने अपना पर्स खोला तो उस के होश उड़ गए क्योंकि पर्स में वौलेट ही नहीं था. पहले तो उसे लगा कि वौलेट किसी ने उड़ा लिया जिस में ढेर सारी नकदी, क्रैडिट और डैबिट कार्ड थे. उस ने घटना की सूचना देने के लिए घर में फोन किया तो मम्मी ने बताया कि जल्दबाजी में उस ने वौलेट घर पर ही छोड़ दिया था और घर में  मम्मी के अलावा और कोई नहीं था जो उस का वौलेट उसे ला कर दे जाता.

अब उस के पास घर जा कर अपना वौलेट लाने के सिवा और कोई चारा नहीं था. यही सोच कर उस ने काउंटर क्लर्क से कहा कि घर जा कर अपना वौलेट ले कर आने में उसे करीब 2 घंटे लगेंगे तब तक वह सामान वैसे ही रखे लेकिन काउंटर क्लर्क ने अधिक देर तक सामान रखने से मना कर दिया. पायल ने इतनी मेहनत से अपनी पसंद के रंग और साइज के कपड़े निकाल कर अच्छी तरह से पहन कर चैक किए थे और वह इसे इतनी आसानी से उन्हें वापस नहीं लौटाना चाहती थी परंतु उस के पास ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. 

उस दिन पायल यही सोच रही थी कि काश कोई ऐसा मोबाइल ऐप होता जिस के माध्यम से वह अपने स्मार्ट फोन से ही यह भुगतान कर देती. पायल जैसे कई लोग हैं जिन्हें  इस तरह की समस्याएं आती हैं. दूसरी ओर नकद खरीदने में कई बार खुले पैसे नहीं होने के कारण अधिक पैसे भी देने पड़ते हैं या उस राशि का ऐसा सामान खरीदना पड़ता है जो उन के लिए कतई जरूरी नहीं होता वहीं नकदी नोट के लुटने, खोने या फटने का भी खतरा होता है. सब से बड़ी बात तो नकदी लेनदेन से कालेधन को भी बढ़ावा मिलता है जिस के कारण देश की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित होती है. यही कारण है कि सरकार ही नहीं अब कंपनियां भी कैशलैस यानी नकदी रहित भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कदम बढ़ा रही हैं. 

8 नवंबर, 2016 को जब प्रधानमंत्री ने रात 8 बजे राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश में भ्रष्टाचार, कालेधन एवं आतंकवाद को रोकने की दिशा में पुराने 500 एवं 1000 के नोटों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की तो सारा देश उन के इस निर्णय से स्तब्ध रह गया क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था से लगभग 80 प्रतिशत नकदी को अचानक बाजार से बाहर किए जाने के निर्णय ने देशवासियों को परेशानी में डाल दिया. हालांकि, औनलाइन बैंकिंग, डैबिट कार्ड, चैक, मोबाइल वौलेट आदि अन्य वैकल्पिक माध्यमों से भुगतान करने वालों को कोई परेशानी नहीं हो रही है. यह बात दूसरी कि यदि मंडियां बंद हो गईं और ट्रांसपोर्ट सिस्टम ढीला हो गया तो औनलाइन व्यापार भी ठप हो सकता है. 

26 अगस्त को ही कैशलैस भुगतान के क्षेत्र में एक नई शुरुआत करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम यानी एनपीसीआई के सहयोग से 21 बैंकों में यूनिफाइड पेमैंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई सेवा की शुरुआत कर दी थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस वर्ष 11 अप्रैल को ही इस सेवा की शुरुआत की घोषणा की थी परंतु तकनीकी कारणों से इस में थोड़ा विलंब हो रहा था पर अब ऐसा नहीं है. 

एनपीसीआई भारत में विभिन्न प्रकार के भुगतान इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करता है. इस में भारत का अपना प्लास्टिक कार्ड, रुपे कार्ड भी शामिल है जिस का उपयोग कर के किसी भी बैंक के एटीएम से पैसा निकाला जा सकता है. यूपीआई मोबाइल के जरिए कैशलैस भुगतान एवं राशि अंतरण की सब से नई तकनीक होगी. इस के माध्यम से भुगतान वैसे ही होगा जैसे आप कोई मोबाइल संदेश भेजते हैं. हालांकि

यह सुविधा एनईएफटी, आरटीजीएस या आईएमपीएस जैसे नकदी अंतरण सुविधा के समान ही है जिस में बैंक के एक खाते से दूसरे खाते में पैसा अंतरित किया जाता है पर यूपीआई इन सेवाओं का एडवांस वर्जन है जिस में क्रैडिट/डैबिट कार्ड का विवरण देने या नैटबैंकिंग या वौलेट पासवर्ड की परेशानी नहीं होती.

यूपीआई भुगतान का एक ऐसा चैनल है जो किसी भी यूपीआई प्रतिभागी बैंक के मोबाइल ऐप पर कई बैंक खातों से जोड़ सकता है. कई बैंकिंग फीचरों को एकसाथ मिला कर आसान निधियों का अंतरण एवं मर्चेंट्स का भुगतान आप के मोबाइल से कर सकता है. यह इंटरफेस एनपीसीआई के तत्काल भुगतान सेवा यानी आईएमपीएस का एडवांस वर्जन है जो 24?7 फंड ट्रांसफर सेवा है.  इस सेवा के माध्यम से एक दिन में 50 रुपए से 1 लाख रुपए तक के लेनदेन किए जा सकते हैं.   

एनपीसीआई ने 26 अगस्त, 2016 को 21 बैंकों के मोबाइल ऐप को मंजूरी दे दी जोकि अब गूगल के प्लेस्टोर में शीघ्र ही उपलब्ध होंगे. फिलहाल आंध्रा बैंक, ऐक्सिस बैंक, बैंक औफ महाराष्ट्र, भारतीय महिला बैंक, केनरा बैंक, कैथोलिक सिरियन बैंक, डीसीबी बैंक, फैडरल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टीजेएसबी सहकारी बैंक, ओरिएंटल बैंक, कर्नाटक बैंक, यूको बैंक, यूनियन बैंक औफ इंडिया, युनाइटेड बैंक औफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक, साउथ इंडियन बैंक, विजया बैंक और येस बैंक सहित कुल 19 बैंकों के ऐप गूगल के प्लेस्टोर पर एंड्रौयड फोन उपलब्ध हैं. भारतीय स्टेट बैंक, बैंक औफ बड़ौदा, बैंक औफ इंडिया और कुछ अन्य बड़े बैंक आने वाले कुछ दिनों में इस भुगतान व्यवस्था से जुड़ जाएंगे. 

यूपीआई ऐप ऐसे करें डाउनलोड

सब से पहले गूगल के प्ले स्टोर पर अपने बैंक की यूपीआई ऐप की तलाश करें.  उस के बाद अपने बैंक के यूपीआई ऐप को डाउनलोड कर अपने मोबाइल में इंस्टौल करें. फिर ऐप को लौगइन करें.  लौगइन करने के बाद पंजीकरण हेतु पंजीकरण पर क्लिक करें और सुरक्षा प्रश्न सहित सभी आवश्यक जानकारी को भरें. ध्यान रहे कि सुरक्षा प्रश्न और उस के उत्तर को हमेशा याद रखें क्योंकि बाद में पासवर्ड भूलने की स्थिति में पासवर्ड रिकवरी करने के लिए इन की आवश्यकता पड़ेगी.

इसी पेज पर आप को पासवर्ड बनाने हेतु विकल्प मिलेगा. यह आप का लौगइन पासवर्ड होगा. उस के बाद अपना वर्चुअल पता बनाएं फिर बाद में अपने बैंक खाते के साथ उसे जोड़ दें. और अपने पसंद के अनुसार एक मोबाइल पिन (एमपिन) निर्धारित करें.  बस हो गई यूपीआई से भुगतान करने की प्रक्रिया पूरी. अब आप यूपीआई का उपयोग अपने पसंद के अनुसार कर सकते हैं. 

यूपीआई की कार्यप्रणाली

यूपीआई भुगतान के क्षेत्र के एक ऐसी क्रांति की शुरुआत है जिस से मोबाइल भुगतान के क्षेत्र में तेजी से विस्तार संभव हो पाएगा और सुरक्षित मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा मिलेगा परंतु यह नई भुगतान व्यवस्था आखिर कैसे काम करेगी और कैसे हम इस व्यवस्था के तहत पल में पैसे अंतरित कर सकते हैं. आइए इस संबंध में विस्तृत चर्चा करते हैं.

एनपीसीआई के अनुसार, यूपीआई एक ऐसी भुगतान सुविधा प्रस्तुत करेगा जो किसी भी बैंक ग्राहक को ईमेल के समान वर्चुअल पते के रूप में पहचान करेगा.  इतना ही नहीं यह ग्राहकों के व्यक्तिगत आंकड़ों की निजता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न बैंकों में विभिन्न खाते हेतु एक से अधिक वर्चुअल पते रखने की भी अनुमति प्रदान करता है.

इस सुविधा के अंतर्गत ग्राहक के अपने बैंक के अलावा कहीं भी खाता मैप नहीं होता है. इस में एक सुविधा यह भी है कि यदि कोई ग्राहक चाहे तो अपना मोबाइल नंबर भी अपने वर्चुअल पते के रूप में उपयोग कर सकता है. यही कारण है कि इस सुविधा का लाभ उठाने वाला ग्राहक ब्रेफिक्र हो कर अपना वर्चुअल वित्तीय पता किसी को भी दे सकता है. 

इस सुविधा के अंतर्गत ग्राहक सिर्फ एक क्लिक से ही अपना लेनदेन प्रमाणीकृत कर सकता है क्योंकि इस में भुगतान प्रेषित करने या प्राप्त करने के लिए वर्चुअल पता ही भुगतान पहचानकर्ता का काम करता है. बैंक खाता अथवा कार्ड आदि का उपयोग नहीं करने के बावजूद यह सुविधा बेहद सुरक्षित ही नहीं, बल्कि सुविधाजनक भी है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस सुविधा के लिए भी एक क्लिक पर 2 फैक्टर प्राधिकरण अनिवार्य बनाया गया है. 

हालांकि इस प्रक्रिया में वन टाइम पासवर्ड के स्थान पर एमपिन द्वारा लेनदेन प्राधिकृत किया जा सकता है. आमतौर पर एमपिन मोबाइल बैंकिंग के रूप में पंजीकृत कराने के बाद बैंक द्वारा ग्राहकों को प्रदान किया जाता है. इस से ग्राहकों को अपना भुगतान प्राधिकृत करने में आसानी होती है. मोबाइल फोन पर ग्राहकों को मोबाइल ऐप पर अपने डैबिट या क्रैडिट कार्ड का विवरण डालने में काफी परेशानी होती है और कई बार गलत पासवर्ड डालने पर खाता लौक होने का खतरा भी बना रहता है. 

कैसे होगा लेनदेन

यूपीआई के तहत कोई भी व्यक्ति भुगतान के लिए डैबिट अनुरोध दे सकता है. इस समय कोई भी भुगतान तकनीक यह सुविधा नहीं देती. इस सुविधा के अंतर्गत विभिन्न बैंकों के बीच तत्काल भुगतान की सुविधा मिल सकती है.  यूपीआई तकनीक बेहद सरल है. इस में डिजिटल तरीके से आसानी से रकम भेजी व प्राप्त की जा सकती है. इस में वर्चुअल पते, मोबाइल नंबर, आधार नंबर आदि की जानकारी के साथ भुगतान होता है यानी अब ग्राहकों को राशि अंतरण करने के लिए बैंक का नाम, आईएफएससी कोड एवं बैंक खाता संख्या देने की आवश्यकता नहीं होगी. इस सुविधा के अंतर्गत ग्राहकों को किसी भी प्रकार का भुगतान करने के समय दुकानदार को अपना एक वर्चुअल पता देना होगा. आप का वर्चुअल एड्रैस प्राप्त करते ही दुकानदार आप के वर्चुअल एड्रैस में भुगतान विवरण डाल देगा. 

उदाहरण के लिए किरण ने मौल से 15,999 रुपए की खरीदारी की. यदि उस के स्मार्ट फोन में यूपीआई की सुविधा होती तो उसे बस अपने भारतीय स्टेट बैंक खाते से भुगतान करने के लिए काउंटर कैशियर को अपने एसबीआई खाते का वर्चुअल एड्रैस देना होता. काउंटर क्लर्क द्वारा उस वर्चुअल एड्रैस में 15,999 रुपए से संबंधित विवरण डालते ही किरण के मोबाइल पर एक संदेश आता. किरण उस संदेश को अपने बैंक के एमपिन प्राधिकृत करती और तत्काल राशि उस के भारतीय स्टेट बैंक खाते से दुकानदार के खाते में अंतरित हो जाती. इस प्रक्रिया के अंतर्गत भुगतान आसानी से होगा और दुकानदार क्रैडिट/डैबिड कार्ड की तरह विवरण अथवा पिन नहीं देख पाएगा.  इसलिए यह पूर्णत: सुरक्षित भुगतान प्रक्रिया है. 

यूपीआई का वर्चुअल एड्रैस   

इस भुगतान व्यवस्था का उपयोग करने के लिए सब से पहले आप को अपने बैंक से संपर्क करना होगा कि उन का मोबाइल ऐप यूपीआई समर्थन के लिए अपडेट किया गया है. विभिन्न  बैंकों का वर्चुअल एड्रैस देने के संबंध में अलगअलग व्यवस्था हो सकती है और आवश्यकता पड़ने पर उसे समाप्त भी किया जा सकता है.

आप बैंक के ऐप पर बैंक की अनुमति से बिटकौइन की तरह एकबारगी उपयोग करने लायक वर्चुअल एड्रैस खुद भी बना सकते हैं.  इस के लिए आप को अपने बैंक से यूपीआई के लिए अपना पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण कराते ही आप का वर्चुअल एड्रैस बना दिया जाएगा जिसे आप के मोबाइल के साथ मैप कर दिया जाएगा. भुगतान के लिए यूपीआई लाभार्थी के इस वर्चुअल पते की पहचान करता है और राशि तत्काल अंतरित हो जाती है.

यह एकल सिंगल क्लिक टू फैक्टर प्राधिकृत प्रक्रिया के आधार पर कार्य करता है.  आमतौर पर विभिन्न बैंकों में विभिन्न खातों में विभिन्न प्रकार के वर्चुअल एड्रैस बनाने की अनुमति भी  मिल सकती है. 

इस सुविधा के अंतर्गत किसी भी प्रकार का बिल, सामान खरीदने के बाद नकदी देने के स्थान पर पैसा अंतरण, बारकोड को स्कैन कर भुगतान करने पर आधारित भुगतान, स्कूल आदि की फीस, किसी संस्थान को दान देने आदि के अलावा कई अन्य तरीके से भी इस का लाभ उठाया जा सकता है.  

इस सुविधा से बैंकों को भी फायदा होगा जैसे उन्हें एक से अधिक लेनदेन के मामले में एक ही क्लिक पर उस लेनदेन के लिए प्राधिकृत किया जा सकता है. इस व्यवस्था में लेनदेन के लिए यूनिवर्सल ऐप का प्रयोग किया जाता है. बैंक वर्तमान इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रयोग द्वारा ही यह सुविधा उपलब्ध कराने में सफल हो सकता है.

ग्राहकों को फायदा

इस नई भुगतान व्यवस्था में बैंक को ही नहीं बल्कि ग्राहकों को भी फायदा है.  एक ओर तो ग्राहक को कभी भी कहीं भी पैसा प्राप्त हो सकता है, दूसरी ओर उसे विभिन्न बैंकों के खाते तक पहुंचने के लिए एक ही ऐप का उपयोग करना पड़ेगा.  सब से बड़ी बात है कि ग्राहक को लेनदेन के लिए अपना कोई भी विवरण नहीं देना पड़ेगा बल्कि उसे सिर्फ अपने बैंक की अनुमति से अपनी पसंद के अनुसार तैयार किया गया वर्चुअल पता ही देना होगा.   

नकदी व्यवस्था के नुकसान

नकदी आधारित व्यवस्था में कुछ आर्थिक नुकसान भी हैं. एक ओर कालेधन में निरंतर वृद्धि से देश की अर्थव्यवस्था चौपट होती है, दूसरी ओर रिजर्व बैंक और व्यावसायिक बैंक की फिलहाल मुद्रा परिचालन लागत लगभग 21,000 करोड़ के आसपास है. नकदी का उपयोग कम किया जाए तो बचत राशि को देश के विकास के लिए व्यय किया जा सकता है. भारत सरकार नकदी लेनदेन को कम करने के लिए कई कदम उठा रही है.  हाल ही में भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में नकदी लेनदेन रोकने के लिए एक समिति का गठन किया है. यह समिति कैशलैस भुगतान को बढ़ावा देने के साथसाथ देश में प्लास्टिक कार्ड द्वारा भुगतान की अधिकतम स्वीकार्यता बढ़ाने पर बल देगी.

रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, मार्च 2016 की समाप्ति पर भारत में 2.45 करोड़ क्रैडिट कार्ड, करीब 66 करोड़ डैबिट कार्ड और 13 लाख पौइंट औफ सेल्स (पीओएस) हैं. 

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा

इंटरनैट ऐंड मोबाइल ऐसोसिएशन औफ इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 और 2013 के बीच डिजिटल भुगतान में करीब 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है.  वह भी तब जब 2013 में औनलाइन भुगतान का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा औनलाइन यात्रा, 23 प्रतिशत वित्तीय सेवाओं और सिर्फ 12 प्रतिशत औनलाइन रिटेलिंग में हुआ है.

ताज्जुब की बात तो यह है कि इन लेनदेन का 80 प्रतिशत हिस्सा डैस्कटौप और लैपटौप पर हुआ है और इस में मोबाइल फोन एवं टैबलेट का हिस्सा  नाममात्र था परंतु भारत में मोबाइल भुगतान वर्ष 2011 में लगभग 602 करोड़ रुपए की तुलना में प्रतिवर्ष 68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 2016 में लगभग 150 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2022 तक इस के लगभग 1150 करोड़ रुपए होने का अनुमान है.   

प्लास्टिक मुद्रा का महत्त्व

डिजिटल इंडिया का मुख्य उद्देश्य भारत में फैले नकदी आधारित व्यवस्था  को हाशिए पर लाना है जो इस समय भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ है. इसी सिलसिले में सरकार इलैक्ट्रौनिक/प्लास्टिक मुद्रा के जरिए भुगतान करने वालों को कर में भी छूट देने पर विचार कर रही है.  दूसरी ओर सरकार विभिन्न सरकारी योजनाओं में भी व्याप्त भ्रष्टाचार दूर करने हेतु चरणबद्ध तरीके से समस्त सरकारी योजनाओं एवं सब्सिडी का भुगतान डीबीटी यानी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण व्यवस्था से जोड़ने की दिशा में तेजी से काम कर रही है.

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए लगभग 20 करोड़ खातों में रुपे कार्ड वितरित किए गए हैं.  इस योजना के अंतर्गत भुगतान को तकनीकी आधारित भुगतान समाधान के साथ जोड़ा जाएगा.

स्मार्ट फोन होंगे संचालक

ग्लोबल रिसर्च फर्म ईमार्केटर ने दिसंबर 2015 के अंत में किए गए एक सर्वेक्षण में कहा है कि भारत में इस समय लगभग साढ़े 12 करोड़ स्मार्ट फोन हैं और अमेरिका में साढ़े16 करोड़ स्मार्ट फोन हैं परंतु यहां स्मार्ट फोन की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है वैसे में भारत 2016 तक स्मार्ट फोन के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा.  

भारत  में  35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की संख्या 70 करोड़ से भी अधिक है. यह पीढ़ी अपना अधिकांश समय मोबाइल फोन व इंटरनैट पर व्यतीत करती है तथा सदैव त्वरित एवं आसान सेवाओं के प्रति आकर्षित होती है.  भारतीय बैंकिंग उद्योग ने भी समय के साथ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी प्रगति करते हुए तकनीकी रूप से उन्नत पीढ़ी के लिए विश्वस्तरीय सेवाएं उपलब्ध करा दी हैं जिस के कारण डिजिटल भुगतान का प्रचलन दिनप्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है.   

औफर्स से वंचित उपयोगकर्ता

क्रैडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को एक ओर खरीदारी की तिथि से उस राशि के भुगतान के लिए अधिकतम 50 दिनों का समय मिलता है तो दूसरी ओर इस अवधि में उस राशि का अन्यत्र उपयोग अथवा बैंक में राशि पड़े होने की स्थिति में कुछ ब्याज राशि भी अर्जित कर सकता है.

आज कार्ड कंपनियां विभिन्न कंपनियों के साथ समझौता कर अपने ग्राहकों को खरीदारी करने पर 5 व 10 और कभीकभी 15 प्रतिशत तक की छूट अथवा कैशबैक देती हैं जोकि अभी की व्यवस्था  के अनुसार यूपीआई उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध  नहीं हो पाएगी. वहीं क्रैडिट कार्ड ग्राहकों को अपने कार्ड द्वारा व्यय की गई राशि पर रिवार्ड पौइंट भी मिलते हैं जोकि 1 से 1.5 प्रतिशत तक होते हैं. इस रिवार्ड पौइंट का नकदीकरण भी किया जा सकता है. यह सुविधा भी यूपीआई उपयोगकर्ताओं को नहीं मिल पाएगी. 

सरकार द्वारा उठाए गए इस कड़े कदम के बाद निश्चित तौर पर नकदी का प्रचलन कम होगा और लोग कैशलैस भुगतान की ओर आकर्षित होंगे. इतना तो तय है कि यूपीआई औनलाइन या औफलाइन खरीदारी हेतु क्रैडिट कार्ड का विकल्प तो नहीं बन पाएगा परंतु खरीदारी हेतु डैबिट कार्ड का विकल्प जरूर बन पाएगा क्योंकि डैबिट कार्ड में भी पैसा खरीदारी के समय ही तत्काल अंतरित हो जाता है परंतु कार्ड का उपयोग आज के बढ़ते साइबर अपराध के युग पर काफी असुरक्षित हो गया है और यहीं यूपीआई प्लास्टिक कार्ड पर भारी पड़ेगा और लोगों को पूरी तरह से सुरक्षा उपलब्ध करा पाने में सफल हो पाएगा.

जहां तक एनईएफटी/आरटीजीएस और आईएमपीएस के विकल्प  बनने की बात है तो यहां यूपीआई उपयोगकर्ताओं को दोहरा लाभ मिलेगा. एक तो भुगतान तत्काल होगा वहीं इस के उपयोगकर्ताओं को साइबर धोखाधड़ी से भी पूरी तरह से सुरक्षा मिलेगी.

इस प्रकार यूपीआई आने वाले समय में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात करेगा. बस जरूरत है ग्राहकों में इस सेवा एवं इस के उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने की ताकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कैशलैस भुगतान व्यवस्था का उपयोग बढ़ाया जा सके.           

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