पनामा पेपर्स लीक के महज पांच महीने बाद ही अब बहामास लीक सामने आया है. इसके मुताबिक कर चोरी के लिए दुनियाभर की 1 लाख 75 हजार से ज्यादा कंपनियां, ट्रस्ट और फाउंडेशन कैरेबियाई टैक्स हेवन 'बहामास' में रजिस्टर्ड हैं. ये नए दस्तावेज एक जर्मन अखबार के हाथ लगे हैं. अखबार ने ये डॉक्यूमेंट्स इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट से साझा किए हैं.

एक अंग्रेजी अखबार के खबर के मुताबिक, जिन कंपनियों के नाम का खुलासा हुआ है वे साल 1990 से 2016 के बीच इस कैरिबियाई टैक्स हेवन से जुड़ी हैं.

भारत की 475 कंपनियों के नाम

एक लाख 75 हजार कंपनियों में से बहामास में भारत की 475 कंपनियों के नाम हैं. ये कंपनियां माइन्स एंड मेटल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, रियल इस्टेट, फैशन मीडिया और एंटरटेनमेंट से जुड़ी हैं. इनमें से कुछ कंपनियों का नाम पनामा पेपर्स लीक में भी आ चुका है. इनमें देश के बड़े-बड़े घरानों के मालिकों का भी नाम शामिल है.

बहामास लीक 30 सितंबर से कुछ दिन पहले ही सामने आया है. बता दें कि 30 सितंबर भारत सरकार की इनकम टैक्स डिस्क्लोजर स्कीम की आखिरी तारीख है. इस स्कीम के तहत लोगों को अपनी छुपी हुई आय का खुलासा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. साथ ही पेनल्टी के तौर पर 45 प्रतिशत टैक्स चुकाकर इस ब्लैक मनी को सफेद में बदला जा सकता है.

सौदे के लिए 500 से ज्यादा बिचौलिए

नए खुलासे से पता लगता है कि बहामास टैक्स कंपनी के कुल 539 रजिस्टर्ड एजेंट्स हैं. ये कॉर्पोरेट बिचौलिए बहामास अथॉरिटी और अन्य देशों के क्लाइंट्स के बीच सौदा करवाने में मदद करते हैं. इन दस्तावेजों में कई देशों के राजनेताओं का भी नाम शामिल है. जिनमें कोलंबिया के कोयला और ऊर्जा मंत्री कार्लोस कबालेरो अरगेज का भी नाम है. दस्तावेजों में उन्हें बहामास कंपनी का अध्यक्ष और सेक्रेटरी बताया गया है. इसके अलावा यूरोपियन यूनियन कमिशनर नीली क्रोस का भी नाम डॉक्यूमेंट में आया है.

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