अधिकांशत: निवेश से अर्जित आय टीडीएस के अधीन आती है. सैलरी इनकम और डिबेंचर पर अर्जित ब्याज टीडीएस कटौती के दायरे में आता है.
इसलिए आपको टैक्स और टीडीएस कटौती के बारे में जानकारी होना अनिवार्य है. साथ ही आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि इससे कैसे बचा जा सकता है. आय और निवेश के वो रास्ते जिन पर टीडीएस कटता है.
सैलरी पर टीडीएस कटौती
वो लोग जिनकी आय कर की सीमा से ज्यादा होती है नियोक्ता उनकी कुल आय पर से टीडीएस कटौती करता है. इसमें सभी कटौती और छूट के बाद आय के अलावा अन्य आय शामिल होती है. टीडीएस इनकम स्लैब के आधार पर कटौती योग्य होता है.
इसे टाला भी जा सकता है, अगर आप आयकर अधिनियम की धारा 80सी और 80डी के दायरे में आने वाले विकल्पों में निवेश करते हैं. हालांकी, इसके लिए आपको इन्वेस्टमेंट के प्रूफ भी देने होते हैं. कंपनियां वित्त वर्ष के अंत में एक टीडीएस प्रमाणपत्र जिसे फॉर्म 16ए के रूप में भी जाना जाता है, जारी करती हैं.
ब्याज से प्राप्त आय पर टीडीएस कटौती
बैंक सामान्य तौर पर ब्याज से प्राप्त होने वाली आय पर टीडीएस कटौती करते हैं. इसकी सीमा 10,000 रुपए सालाना से ऊपर की होती है. उच्च कर वर्ग में आने वाले करदाताओं को देयता के अनुसार कर का भुगतान करना होता है. वहीं निम्न आय वाले व्यक्ति फार्म 15जी या एच (इनमें से जो भी लागू हो) को जमा कर टीडीएस के लिए क्लेम कर सकते हैं. इसके साथ ही, विभिन्न बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाकर कोई भी टीडीएस बचा सकता है, लेकिन एक बैंक में ब्याज से प्राप्त आय 10,000 रुपए से ऊपर नहीं होनी चाहिए.