क्रूड सहित पेट्रोलियम और कुछ इंटरमीडिएट प्रॉडक्ट्स पर प्रपोज्ड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत टैक्स लगाया जा सकता है. इससे जीएसटी में कमियों को दूर करने में मदद मिलेगी और टैक्स का महंगाई पर असर कम करने में मदद मिलेगी. इन प्रॉडक्ट्स पर मामूली टैक्स लगाने के एक प्रपोजल पर विचार किया जा रहा है.
जीएसटी काउंसिल में इस पर चर्चा होगी. काउंसिल में सरकार राज्यों को इसके लिए आश्वस्त करने की कोशिश करेगी. इन प्रॉडक्ट्स पर 2-3% का टैक्स लगाने का प्रपोजल है. अभी इन प्रॉडक्ट्स को जीएसटी में शामिल करने का प्रपोजल है लेकिन काउंसिल के टैक्स लगाने का फैसला करने तक इन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
हालांकि, राज्यों को इन पर लोकल सेल्स टैक्स लगाने की छूट होगी. राज्य पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स पर लगने वाले टैक्स के सिस्टम में बदलाव नहीं करना चाहते क्योंकि उनके लिए जरूरत पड़ने पर यह तेजी से रेवेन्यू जुटाने का एक आसान तरीका है. अरविंद सुब्रमण्यन कमेटी ने लगभग 18% का स्टैंडर्ड जीएसटी रेट रखने का सुझाव दिया है. ऐसी आशंका है कि जीएसटी के लागू होने के बाद महंगाई बढ़ सकती है.
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, 'पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स पर कुछ टैक्स लगाने को लेकर विचार-विमर्श किया जा रहा है.' उन्होंने कहा कि इस बारे में अंतिम फैसला काउंसिल को करना है. यह इन प्रॉडक्ट्स पर लोकल स्टेट टैक्स से अतिरिक्त होगा. सरकार का टारगेट जीएसटी को 1 अप्रैल, 2017 से लागू करने का है. जीएसटी को लेकर महत्वपूर्ण फैसले करने के लिए सरकार ने हाल ही में जीएसटी काउंसिल बनाई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने जीएसटी फ्रेमवर्क और इससे जुड़े मुद्दों पर बुधवार को एक प्रेजेंटेशन भी दी जाएगी.
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