सरकार प्रस्तावित गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत कीमतों पर निगरानी रखने वाली व्यवस्था बनाने पर विचार कर रही है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि इस रिफॉर्म के तमाम लाभ तो मिलें, लेकिन कीमतों के मामले में कोई अवांछित झटका न लगे. राज्य यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जीएसटी के असर से इकॉनमी में डिमांड को बढ़ावा मिले.

टैक्स रेट सहित कई अहम मुद्दों पर फैसला करने के लिए इस सप्ताह जीएसटी काउंसिल की बैठक होगी. एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'कीमतों पर नजर रखने के लिए एक व्यवस्था बनाई जाएगी.' सरकार 1 अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करना चाहती है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि जीएसटी लागू होने पर गुड्स पर टैक्स कम लगेगा. जीएसटी कई केंद्रीय और राज्यस्तरीय करों की जगह लेगा.

टैक्स एक्सपर्ट्स ने कहा कि प्राइस मॉनिटरिंग सिस्टम को अगर लेजिस्लेटिव सपोर्ट नहीं दिया जाएगा तो हो सकता है कि वह ज्यादा प्रभावी न हो. सरकार, भारत में कम टैक्स रेट से शुरुआत करना चाहती है. अरविंद सुब्रमण्यन कमेटी ने ज्यादातर गुड्स के लिए 18 पर्सेंट के स्टैंडर्ड जीएसटी रेट की सिफारिश की है. उसने रेवेन्यू न्यूट्रल रेट 15-15.5 पर्सेंट होने का अनुमान लगाया है.

कुछ पॉलिसीमेकर्स महंगाई के दबाव से बचने के लिए जीएसटी के 16 पर्सेंट रेट के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि इस रेट को धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है. अभी कई गुड्स पर कुल करीब 28 पर्सेंट टैक्स लगते हैं. जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक 21 सितंबर को होगी.

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