आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में ब्याज दरों को उम्मीद के मुताबिक जस का तस रहने दिया. राजन ने आगाह किया कि आने वाले दिनों में महंगाई सिर उठा सकती है. यह रिव्यू इस लिहाज से खास था कि दरों के बारे में किसी आरबीआई गवर्नर के फैसला करने का यह आखिरी मौका था. अब आगे मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी यह काम किया करेगी. 2013 में करेंसी क्राइसिस के दौरान जुटाए गए एफसीएनआरबी डिपॉजिट्स के मैच्योर होने जैसी घटनाओं को देखते हुए मार्केट रेट्स को स्टेबल रखने के लिए राजन ने पर्याप्त नकदी की आपूर्ति का वादा किया. राजन ने फंड्स के मामले में बैंकिंग सिस्टम को आत्मनिर्भर बनाने के अपने वादे की दिशा में भी कदम बढ़ाया.

राजन ने मार्च 2017 तक महंगाई दर के 5% पर रहने और इस फिस्कल ईयर में जीडीपी ग्रोथ 7.6% होने के अपने अनुमान में बदलाव नहीं किया. रेट कट का फायदा कंज्यूमर्स को पूरी तरह न देने की बैंकों की हरकत के बारे में राजन ने दो टूक बात की. राजन ने कहा, 'नकदी की उपलब्धता के बावजूद बैंकों ने रेट कट का कुछ ही फायदा कस्टमर्स को दिया है.' उन्होंने कहा, 'पहले कुछ बैंकर कहते थे कि नकदी की कमी के चलते वे दरें घटा नहीं रहे हैं. अब कुछ लोगों से मैंने सुना है कि एफसीएनआर रिडेम्प्शन के डर से रेट कट से बैंक हिचक रहे हैं. मुझे शक है कि एफसीएनआर का मामला निपट जाने पर कोई नई चिंता सामने रख दी जाएगी.'

राजन ने अपने अंतिम मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में कहा, 'खाने-पीने की चीजों के दाम में हाल में अचानक आई तेजी ने इस साल के बाकी समय के लिए महंगाई दर में तेजी का रुझान बना दिया है.' आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5% और कैश रिजर्व रेशियो को 4% पर रहने दिया. रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को उधार देता है, वहीं सीआरआर बैंकों के डिपॉजिट्स का वह हिस्सा होता है, जो उन्हें आरबीआई के पास रखना होता है. 

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