डार्कवेब की अंधेरी वर्चुअल दुनिया में खुलेआम डेबिट-क्रेडिट कार्ड से ठगी कर लोगों को लाखों करोड़ों की चपत लगाई जा रही है. अंतरराष्ट्रीय गैंग हर दिन हजारों कार्डों को नीलामी पर रख रही है, जिनमें 13 नाम इंदौर से है. इन 13 लोगों के क्रेडिट कार्ड की जानकारियां महज 8 से 12 डौलर में बिटक्वौइन अकाउंट के माध्यम से खरीदी जा सकती है. बिना ओटीपी विदेशी वेबसाइट से खरीदी होने से गिरोह आसानी से ठगी कर लेते हैं और कार्डधारक को पता भी नहीं चलता.

गैंग के पर्दाफाश में साइबर पुलिस को शहर के दिशा शास्त्री, सपना कोर्डे, सुरभि यादव, लतिका केसवानी, माधुरी गुप्ता, ईशा डोसी, सुशील भडक़े, मुस्कान चंदेल, ज्योतिका चक्रपानी, धनश्री जोशी, कमल शर्मा व मेघा जैन का नाम मिला है. अधिकारियों ने उक्त कार्ड धारकों से साइबर सेल में संपर्क करने की अपील की है, ताकि उनके कार्ड ब्लौक कराए जा सकें.

डार्कवेब पर हैकर बेच रहे डाटा

साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह के मुताबिक, अवैध गतिविधियों के लिए संचालित हो रहे डार्क वेब के जरिए सारी गड़बड़ी हो रही है. आरोपित रामप्रसाद नाडर डार्क वेब के जरिए ही लाहौर के सोजी उर्फ शेख अफजल के संपर्क में आया था. डार्क वेब के लिए अलग ब्रोशर है, जिसके जरिए ड्रग्स, हथियार भी खरीदे जा सकते हैं. डार्क वेब की कुछ वेबसाइट पर हैकर लोगों के क्रेडिट डेबिट कार्ड की डिटेल 8 से 12 डालर में बेच देते हैं.

 

क्या है बिटक्वौइन

ठगी में कार्ड डिटेल हासिल करने के लिए इस्तेमाल की गई बिटक्वौइन (वर्चुअल करंसी) का इन दिनों कई देशों में बोल बाला है. यह डिजिटल क्रिप्टो करंसी है, जिसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं होता. यह काले धन के लेन-देन के लिए कुख्यात होने के बावजूद कई देशों ने इसे मान्यता दी है. केवल औनलाइन के जरिये खरीदी-बिक्री होती रहती है. 2009 में इसे अब तक अज्ञात किसी सेनटोशी नाकामोटा नामक व्यक्ति ने ओपन सोर्स सौफ्टवेयर के जरिये जारी किया था.

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