मजबूती पर चल रहे बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई के सूचकांक ने सितंबर के दूसरे पखवाड़े में डुबकी लगाई और सूचकांक 32,000 के मनोवैज्ञानिक अंक से नीचे उतरा. इसी तरह से नैशनल स्टौक एक्सचेंज का निफ्टी भी 10 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे उतरा है. 25 सितंबर को तो सूचकांक 435 अंक तक लुढ़का.

विश्लेषक बाजार के गिरने की वजह अमेरिका तथा उत्तर कोरिया के बीच जारी तनाव को मानते हैं. इस की वजह से वैश्विक बाजार प्रभावित रहा और उस का सीधा असर बीएसई के सूचकांक में भी देखने को मिला है.

देश की दूसरी सब से बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस में नंदन नीलेकणी की तैनाती के बाद बाजार ने 585 अंक की छलांग लगाई थी लेकिन निवेशकों का यह उत्साह ज्यादा दिन नहीं चला और एक सप्ताह बाद सूचकांक लुढ़क गया.

वैश्विक तनाव के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था के कमजोर रहने के अनुमान को भी इस का कारण माना जा रहा है. इस अवधि में डौलर के मुकाबले रुपया भी काफी कमजोर रहा. इस से भी निवेशकों का मनोबल घटा है लेकिन वैश्विक परिणामों का बाजार पर ज्यादा असर रहा.

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