बिहार के नक्सल प्रभावित इलाकों में गांव वालों की तरक्की के लिए सीआरपीएफ ने भी कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, जिन से गांव वालों और सीआरपीएफ के बीच नया रिश्ता विकसित हो रहा है. पुलिस के डर से बिदकने वाले ग्रामीण अब सीआरपीएफ जवानों से घुलमिल कर रह रहे हैं और सीआरपीएफ गांव वालों से ही दूध, सब्जी, फल और अंडे खरीद रही है. इस से गांव वालों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए गांव से बाहर नहीं जाना पड़ रहा है, जिस से उत्पादों की ढुलाई का खर्च बच रहा है.

राज्य के नक्सली असर वाले औरंगाबाद, गया, जमुई, मुंगेर और बांका जैसे जिलों के तमाम गांवों में तैनात सीआरपीएफ के जवान पास के गांवों से ही अपनी जरूरतों का ज्यादातर सामान खरीद रहे हैं. गांव वालों का मानना है कि सीआरपीएफ के जवान जहां उन्हें नक्सलियों से सुरक्षा दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन की माली हालत को भी बेहद मजबूत कर रहे हैं.

गौरतलब है कि पहले नक्सली गांवों से मुफ्त में भोजन का सामान उठा कर ले जाते थे. वे हर महीने किसी न किसी गांव से अपने लिए महीने भर के अनाज का इंतजाम किया करते थे और बदले में फूटी कौड़ी भी नहीं देते थे. सीआरपीएफ बिहार सेक्टर के आइजी शैलेंद्र कुमार बताते हैं कि सीआरपीएफ द्वारा नक्सली प्रभावित इलाकों के गांवों में चलाए जा रही कल्याणकारी योजनाओं की वजह से नक्सलियों के प्रति गांव वालों को लगावजुड़ाव खत्म होने लगा है.

इस के अलावा सीआरपीएफ गांवों में हेल्थ चेकअप कैंपों का आयोजन भी कर रही है और बच्चों को किताब, कौपी, कलम, पेंसिल आदि बांट रही है. सीआरफीएफ द्वारा बुजुर्गों को मुफ्त में धोतियां और साडि़यां बांटी जा रही हैं. इस से गाव वालों और सीआरपीएफ के बीच भरोसे का रिश्ता कायम हुआ है.                        

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