प्लास्टिक कचरे से डीजल बनाने की तकनीकी करीबन 5 साल पहले ईजाद की गई थी, इस तकनीक से न सिर्फ डीजल बल्कि पैट्रोल और एलपीजी गैस भी तैयार की जा सकती है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से अब न सिर्फ एक हजार किलोग्राम प्लास्टिक कचरा रोजाना उठाने का इंतजाम किया गया है, बल्कि इस से प्रतिदिन 800 लिटर डीजल भी बनाया जाएगा. यह सब काम होगा भारतीय पैट्रोलियम संस्थान (आईपीपी) की तकनीक से.
इस कार्य के लिए गैस अथौरिटी औफ इंडिया लिमिटेड यानी गेल ने संस्थान को 13 करोड़ रुपए की मदद दी है. इस के लिए संस्थान में प्रयोगशाला स्तर का प्लांट भी लगाया गया है.
हालांकि बड़े स्तर पर करीब एक टन क्षमता के प्लांट से उत्पादन शुरू किया जाएगा. अगले वर्ष जनवरी में संस्थान परिसर में डीजल बनाने का प्लांट लगाया जाएगा. इस की शुरुआत देहरादून के प्लास्टिक कचरे से शुरू की जाएगी. इस की डिमांड बढ़ने पर केंद्र सरकार के स्तर से तमाम शहरों में भी इस पहल को आगे बढ़ाया जाएगा. यदि यह तकनीकी पूर्णरूप से सफल रही तो डीजल के दाम लगभग 50 रुपए प्रति लिटर होने की उम्मीद है, जो वर्तमान में 73 रुपए प्रति लिटर है. यह कहना है आईआइइपी वैज्ञानिकों का. यदि इस प्लांट की क्षमता 5 टन तक बढ़ाई जाती है तो इस के दाम 35 रुपए प्रति लिटर तक आ सकते हैं.
क्रांतिकारी बदलाव
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक यदि देश के 60 प्रमुख शहरों में 15 हजार टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन निकाला जाता है तो इस में से 6 हजार टन कचरा यों ही पड़ा रहता है. हालांकि आईआईपी की सफल तकनीकी के प्रयोग के बाद तमाम नगर निकाय अपने स्तर पर ईंधन बनाने के प्लांट लगा सकते हैं. यदि यह प्रयोग सफल रहा तो प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में यह क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.
कैसे बनता है ईंधन
प्लास्टिक कचरे को पहले सुखाया जाता है और फिर उसे सीलबंद भट्टी में डाल कर औक्सीजन की अनुपस्थिति में तेज आंच पर पकाया जाता है, जिस से प्लास्टिक भाप में बदल जाता है. इस भट्टी से एक पाइप जुड़ा होता है जो एक वाटर टैंक में जाता है और उस भाप को इसी टैंक में जमा किया जाता है. इस टैंक की सतह पर जमा पानी को छूते हुए भाप को दूसरे टैंक में भेजा जाता है इस प्रक्रिया में भाप ईंधन बन जाती है. इसे रिफाइन कर पैट्रोल या डीजल बनाया जाता है. हालांकि पूरी भाप तरल अवस्था में नहीं आ पाती है और वाटर टैंक के ऊपरी हिस्से में जमा हो जाती है. इस का इस्तेमाल एलपीजी बनाने में किया जाता है.