पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) के तहत आप अपने और अपने नाबालिग बच्चों का भी अकाउंट खोल सकते हैं. ऐसा करना काफी फायदेमंद होता है. इसका पहला कारण है कि पीपीएफ अकाउंट की लौन-इन अवधि 15 साल की होती है. इसलिए अगर बचपन में ही बच्चे का पीपीएफ अकाउंट खुलावा दिया जाता है तो उसके बालिग होने तक यह खाता मैच्योर हो जाएगा. तब कई कामों के लिए इस पैसे का इस्तेमाल किया जा सकता है.

यहां पर ध्यान रखने वाली बात है कि आपके और आपके बच्चे, दोनों के अकाउंट में एक साल में जमा होने वाली रकम 1.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. मौजूदा कानून के मुताबिक, एक साल में पीपीएफ अकाउंट में इतनी ही रकम जमा हो सकती है. आयकर कानून के तहत एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये की रकम पर ही टैक्स से छूट मिलती है.

बच्चों के पीपीएफ अकाउंट का फायदा

बच्चे के बालिग होते ही इस अकाउंट का संचालन उसके हाथ में आ जाएगा. इसका मतलब यह है कि बच्चे के बालिग होने के बाद उसके अकाउंट से पैसे निकालने के लिए उसके सिग्नेचर की जरूरत होगी. बालिग होने के बाद वह तय कर पाएगा कि उसे यह अकाउंट आगे चलाना है या बंद करना है.

इसके अलावा पीपीएफ खाते को ईईई का दर्जा मिला है. इसका मतलब है कि इसमें पैसे जमा करने पर टैक्स में छूट मिलती है. साथ ही खाते में जमा रकम निकालने पर भी टैक्स नहीं लगता. साथ ही पीपीएफ को निवेश के लिए अच्छा विकल्प माना जाता है. अगर किसी बच्चे का पीपीएफ अकाउंट बचपन में खुलवा दिया जाता है तो उसके बालिग होने तक यह अकाउंट मैच्योर हो जाता है.

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